कालपी जालौन कारखानों के कैमिकल और शहरों के सीवर तथा कूडा कचडे़ को यमुना में जाने से रोकने तथा वैध रूप से जारी भारु खनन पर यदि रोक नहीं लगाई गई तो बुन्देलखण्ड की जीवन दायनी यमुना को नहीं बचाया जा सकता है!
बताते चलें कि यमुना नदी भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है जिसकी लम्बाई 17376 किलोमीटर हैं और इसकी औसत गहराई 10 फिट है तथा अधिकतम गहराई 35 फिट है इसका उद्गम उत्तराखण्ड में 20955 फिट की ऊंचाई पर यमुनोत्री ग्लेशियर से होता है!यह देश के उत्तराखंड से होते हुए हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरयाणा, दिल्ली मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में गंगा से जाकर मिल जाती है!
यमुना के किनारे बसे औद्योगिक नगरों दिल्ली आगरा मथुरा इटावा बागपत फिरोजाबाद नोएडा जैसे नगरों मे स्थित कारखानों से निकलने वाला जहरीला कैमिकल युक्त पानी सीवर लाईन और कचरा जो सीधे यमुना में जा रहा है जिसने यमुना के जल क़ इतना प्रदूषित कर दिया है कि अब यह इन्सानों के य पशु पछियों के पीने योग्य नहीं रहा है! वहीं यमुना के रेत का भारी तादात में तथा अवैध रूप से हो रहे खनन ने तो यमुना की वास्तविक जल धारा का रास्ता ही बदल अर रख दिया है जिसके चलते जलधारा सिकुड़ती जा रही है अगर इसी तरह होता रहा तो वो समय दूर नहीं जब यमुना का अस्तित्व ही समाप्त हो जाए और यह मात्र इतिहास के पन्नो में रह जाए!तब यमुना से हो रही लाखों एकड़ भूमि की सिणाई बन्द हो जाएगी और खेती बंजर हो जाएगी लाखों जल जीव नष्ट हो जाएंगे लाखों लाखलोग बेरोजगार हो जाएंगे !इससे पहले भारत सरकार क़ यमुना क़ बचाने के लिये भागीरथी प्रयास करने होंगे !,इसके लिए सामाजिक संगठन समाज सेवियों को भी आगे आना होगा यमुना को बचाने स्वच्छ रखने के लिये काम करना होगा !अन्यथा की स्थिति में देश व देशवासियों को एक ऐसा नुकसान झेलना होगा जिसकी भरपाई नहीं की जा सकती !