श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर

Mar 12, 2024 - 16:55
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श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस की कथा सुन श्रोता हुए भाव विभोर

वीरेंद्र सिंह सेंगर 

अजीतमल औरैया। जीवन जीना सीखना है तो श्री रामायण से सीखो और मरना सीखना है तो भागवत गीता से सीखो। त्रिवेणी संगम में गंगा, जमुना, सरस्वती का मिलन होता है। मिलन में गंगा जमुना तो दिखाई देती हैं लेकिन सरस्वती को कोई नहीं देख पाता, सरस्वती को देखने के लिए कई बार प्रयास करने पड़ते हैं लेकिन सफलता नहीं मिलती। इसी तरह गीता में विज्ञान, वैराग्य और भक्ति है, लेकिन विज्ञान और वैराग्य तो दिखाई देता है लेकिन भक्ति नहीं दिखाई देती, भक्ति को देखने के लिए लीन होना पड़ता है। यह वचन कथा व्यास श्री रामकृष्ण बाजपेई जी महाराज ने तहसील क्षेत्र के ग्राम ततारपुर कलां में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद भागवत कथा के दौरान बताया। इसके अलावा व्यास नारद संवाद परीक्षित जन्म वक्ता के दस लक्षण, रसिका भूवि भाविका, कुंती चरित्र, विदुर मैत्री सहित महाभारत प्रसंग की कथा श्रवण कराई।

जनपद की तहसील अजीतमल क्षेत्र के अंतर्गत पवित्र पांच नदियों यमुना-चंबल सिंध और पहूज के पवित्र महासंगम पंचनद धाम तीर्थस्थल क्षेत्र में स्थित ग्राम ततारपुर कलां में सोमवार से सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन चल रहा है कथा के दूसरे दिन कथा व्यास राम कृष्ण बाजपेई महाराज ने द्वितीय दिवस ज्ञान भक्ति वैराग्य की कथा श्रवण कराते हुए मोक्ष प्राप्ति की कथा श्रवण कराई। साथ ही व्यास नारद संवाद, परीक्षित जन्म, सुकदेव महाराज, रसिका भूवि भाविका, कुन्ती चरित्र सहित विदुर मैत्री प्रसंग की कथा श्रवण कराई। कथा व्यास बाजपेई महाराज ने बताया कि हमेशा मधुर मीठा बोलो, वाणी के सुर सुधार लो, जिस तरह कौवा दिन भर कांव-कांव करता है लेकिन कोई नहीं सुनता लेकिन जब कोयल बोलती है तो सब ध्यान से सुनते हैं इसी लिए कोयल बनो कौवा नहीं। जीव का कल्याण भगवत भजन से होगा क्योंकि जीव का जन्म प्रभु की भक्ति के लिए हुआ है, प्रभु का भजन जो जीव नहीं करता है पशु के समान होता है। अगर कल्याण चाहते हैं तो जन्म मरण के चक्कर से बचना चाहते हैं तो हरी भजों, भगवान का भजन ही सार है बांकी सब बेकार है। इसके अलावा कथा वाचक बाजपेई जी महाराज ने अनेक प्रसंग सुनाए।

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