आस्था के स्वरों में अयोध्या में गूंजा रामनाम
मनोज तिवारी ब्यूरो चीफ अयोध्या
अयोध्या रामलला के दर्शनों के लिए अयोध्या में श्रद्धालुओं का आगमन जारी है और भक्ति के इस माहौल में "तुलसी उद्यान" के सांस्कृतिक मंच पर,विभिन्न प्रदेशों से आए कलाकारों के आस्था के स्वर भी गूंज रहे है। मुरादाबाद से आए दल ने पंकज दर्पण अग्रवाल के निर्देशन में पहली प्रस्तुति लोक नाट्य शैली में,धनुष भंग और परशुराम लक्ष्मण संवाद का प्रस्तुत किया। नृत्य नाटिका के रूप में कलाकारो का अभिनय और संवादों की अदायगी ने जनकपुर के राजदरबार को जीवंत कर दिया। अगली प्रस्तुति राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित 75 वर्षीय खेमराज और उनके दल ने जम्मू का प्रसिद्ध लोकनृत्य कुद प्रस्तुत किया।फसल कटने के बाद के उल्लास को,अयोध्या के आनंद में डुबोते हुए कलाकारो के लयबद्ध नृत्य के साथ पारंपरिक वाद्ययंत्र कैल की धुन ने वातावरण में एक मिठास भर दी। खेमराज की लचक और भाव भंगिमा पर दर्शक मुग्ध होकर तालियों से साथ दे रहे थे। मध्य प्रदेश के मनीष पाल के दल ने पारंपरिक बरेदी नृत्य करके भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को प्रस्तुत किया।कलाकारो ने जब मंच पर पिरामिड बना कर नन्हे कान्हा को सबसे ऊपर खड़ा होकर बांसुरी बजाते देखा तो आश्चर्यचकित रह गए। मंच पर राजस्थान की कलाकार राधा ने अपने साथियों के साथ मंच पर सर पर रखे मटके पर आग जला कर जैसे ही प्रवेश किया पूरा पांडाल तालियों से गूंज उठा।राजस्थान की स्वर लहरियों पर महिला कलाकारों के अंग संचालन और ताल पर पैरो के संचालन ने समां बांध दिया।राजा महाराजाओं के विजय के अवसर पर किए जाने वाले इस नृत्य के बाद लखनऊ की लोक गायिका सरला गुप्ता ने अपने साथियों के साथ मंच पर रामजी से जुड़े विविध लोक गीतों के साथ साथ दल के कलाकारो ने लोकनृत्य भी प्रस्तुत किया। दर्शकों की मांग पर सरला गुप्ता ने लोक गीत भी सुनाए।इसी दल की आरु मिश्र ने भी अयोध्या जी pa लोकगीत सुनाया। महाराष्ट्र से आए दल के गणेश और उनके साथियों ने कोली नृत्य प्रस्तुत किया। जिसमे समुद्र किनारे कोली समाज के स्त्री पुरुष द्वारा किसी भी खुशी के अवसर पर किए जाने वाली प्रसन्नता को व्यक्त कर रहे थे। अयोध्या में बदलते मौसम के अनुरूप प्रीति सिंह ने कजरी पर लोकनृत्य प्रस्तुत करके दर्शकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। ढलती हुई रात में भारी संख्या में बैठे दर्शकों के सामने पश्चिम बंगाल से आए दल की रंजीता हलदार के दल ने अपनी प्रस्तुति दी।मंच पर कलाकारो का आगमन एक एक कर वाद्ययंत्र के वादन और गायन के साथ अलग अलग हुआ,जिसने सभी के मन में एक उत्सुकता जगा दिया सबसे पहले रंजीता हलदार और प्रो.हरे कृष्णा ने श्रीखोल से पारंपरिक बोल और पढ़न्नत सुनाने के बाद आपस में जुगलबंदी की तो सभी जयश्री राम के जयकारों के साथ तालियों से कलाकारो का साथ देने लगे।इसके बाद दर्शकों को मृदंग पर ही रेलगाड़ी की आवाज,मंदिर में कीर्तन की आवाज,और तालियों की आवाज सुना कर मंत्रमुग्ध कर लिया।पार्श्व में सह कलाकारो का अनवरत मृदंग वादन और भक्ति में डूबा हुआ नृत्य एक सम्मोहक वातावरण निर्मित कर रहा था। इसी भक्तिमय वातावरण में बारी आई भजनों की तो प्रियंका हालदार ने चौपाइयों से शुरुआत की और फिर जैसे ही आलाप लिया...जय श्रीराम तो सारा पांडाल अपनी जगह पर खड़ा होकर नृत्य के लिए तैयार हो गया इसके बाद भारत का बच्चा बच्चा,जय जय श्रीराम बोलेगा,अवध में राम आए है,मेरी झोपडी के भाग खुल जायेंगे जैसे भजनों पर सभी उठ कर नृत्य करने लगे। कलाकारो के साथ मंच पर पैड और श्रीखोल पर रंजीता हलदार का डूबकर मुस्कुराते हुए वादन करना एक अलग आकर्षण पैदा कर रहा है। वहीं की बोर्ड पर पार्वती हलदार,बांसुरी पर उपेन विश्वास और बैंजो पर सुभाष बर्मन ने संगत किया।इसके बाद मंच पर राजस्थान के कलाकारो ने भवई लोकनृत्य प्रस्तुत किया जिसमे कलाकारो का संतुलन देख कर सभी स्तब्ध रह गए।सर पर पांच घड़े रख कर कील पर,कांच के टुकड़ों पर,स्टील के गिलास पर,संतुलन बनाए हुए बलखाते हुए नृत्य करते कलाकारो पर दर्शकों ने जी भर कर तालियां बजाईं। इसी वातावरण में महाराष्ट्र के कलाकारो और प्रीति सिंह उत्तर प्रदेश का लोक नृत्य प्रस्तुत किया। देर रात तक चले दर्शकों से भरे पांडाल में कार्यक्रम समन्वयक अमित श्रीवास्तव,पुनः प्रकाश,मनप्रीत सिंह समेत भारी संख्या में दर्शक और संतजन उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक देश दीपक मिश्र ने अपने विशिष्ट अंदाज में किया।
What's Your Reaction?