इसलाह-ए-उम्मत कॉन्फ्रेंस में बोलते मौलाना जरजीस सिराजी

Feb 16, 2024 - 17:30
 0  5
इसलाह-ए-उम्मत कॉन्फ्रेंस में बोलते मौलाना जरजीस सिराजी

रोहित कुमार गुप्ता 

बलरामपुर। जमीअतुश्शुब्बान कमेटी अहले हदीस के जेरे एहतमाम बुधवार की रात उतरौला के एम वाई उस्मानी इंटर कालेज के खेल मैदान में आयोजित इसलाह-ए-उम्मत कॉन्फ्रेंस में इटावा के मौलाना जरजीस सिराजी ने सीरतुन नबी, नमाज, एखलाक, मोहब्बत और इंसानियत पर तफसील से रोशनी डाली।

मौलाना जरजीस सिराजी ने हर किसी को नबी की हयाते जिंदगी पर अमल करने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि अल्लाह और अल्लाह के रसूल के फरमान पर जो भी चला उसकी हर मुश्किल आसान हुई है।

नबी ने जिंदगी में दुखियों की मदद कर जो पैगाम दिया उसका पालन करने की जरूरत है। उन्होंने सारे कायनात को यह नसीहत दी कि कोई दुखी हो तो उसकी मदद करें। जो भी उनकी सीरत पर अमल कर सका आज वह सफल माना जा सकता है। अल्लाह ने अगर किसी को दौलत से नवाजा है तो उसका फर्ज बनता है कि वह अपने पड़ोसियों, गरीबों का ख्याल रखे। जीवन में कितनी भी परेशानी व तकलीफ आए लेकिन हमेशा सच का साथ दें।

कहा कि पूरी दुनियां इंसानियत पर टिकी है। इंसानियत से दिलों को जीता जा सकता है। कहा कि सभी इंसान अल्लाह के बंदे हैं और अल्लाह अपने सभी बंदे से बेइंतहा मोहब्बत करता है इसलिए इंसान को इंसान से मोहब्बत करते हुए एक दूसरे के सुख दुख का साथी बनना चाहिए।

मुंबई के मौलाना हाफिज अब्दुर्रब ने फ़िक्र ए आखिरत पर बयान करते हुए कहा कि दुनियादारी के दलदल से निकलकर आखिरत की फिक्र करो। आखिरत की फिक्र अस्ल में मगफिरत की फिक्र है।

 इसलिए आखिरत की फिक्र के साथ-साथ मगफिरत की मंज़िल पर पहुंचने के लिए अल्लाह के जिक्र करो।

बौड़िहार के मौलाना समशीर मदनी ने कहा कि दहेज लेने और देने की प्रथा इस्लाम का हिस्सा नहीं है।हालाँकि यह वास्तव में कई मुस्लिम संस्कृतियों में बढ़ रही है। जो बहुत निंदनीय है। श लोगों से शादी में होने वाली फिजूलखर्ची को छोड़ने, मस्जिदों में सादगी से निकाह करने और दहेज लेनदेन को पूरी तरह छोड़ने का आह्वान किया।

मौलाना काजी इस्माईल फैजी ने कहा कि 

अल्लाह-तआला ने दुनिया के तमाम मखलूखात में आदमी को अशरफुल मखलूकात बनाया है। लिहाजा अशरफुल मखलूकात की विशेष जिम्मेवारी बनती है कि मुआशरा को तमाम बुराइयों व खुराफात रस्मों से निजात दिलाते हुए अल्लाह तआला और नबी आखरुज्जमां के उपदेशों का अक्षरश: पालन करें।ऐसा नहीं करने वालों पर अल्लाह और रसूल की नाफरमानी मानी जाएगी। 

कॉन्फ्रेंस की सदारत कर रहे मौलाना अब्दुल सत्तार सिराजी ने नौजवानों से दीन के प्रति जागरूक होने का अपील किया।

हाफिज अब्दुल अहद सिराजी ने शानदार निजामत किया। 

सरपरस्त अनवारुल्लाह, कमेटी सदस्य मलिक अब्दुल कादिर बब्बू, गुल हमीद, अल्ताफ अहमद, मौलाना अब्दुल लतीफ सलफी, मौलाना नूरुद्दीन मदनी, मास्टर अब्दुरर्हमान सिद्दीकी, खेसाल सिद्दीकी, तबरेज , जब्बार सिद्दीकी, अब्दुल्लाह, हसीन, अखलाक, सलमान, अदनान, आरिफ समेत भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow