नियम विरुद्ध चल रही मीट की दुकानें, जिम्मेदार मौन
संवाददाता
अमित गुप्ता
कालपी/जालौन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में उत्तर प्रदेश में मीट की दुकानों के संचालन के लिए 17 बिंदुओं पर आधारित एक गाइडलाइन जारी की थी जो आज भी प्रभावी है। इन नियमों का उल्लंघन करने पर दुकानदार को जय हो सकती है साथ ही मीट की दुकान खोलने से पहले दो जगह से एनओसी लेनी पड़ती है नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल इसके लिए जिम्मेदार है। पर शायद यह विभाग अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। और नगर में कई स्थानों पर मुर्गों की मीट चिकन की दुकान खुली है। जहां 17 नियमों में से 7 का भी पालन नहीं हो रहा है। इसके साथ ही दूसरी संस्था नगर पालिका का भी ओर कोई जिम्मेदार पार्ट नहीं निभाया जा रहा है। यदि उन नियमों की आपको जानकारी ना हो तो चलो बताते हैं। उन 17 नियम कानून के बारे में जिनका पालन करने का सरकारी आदेश है। पहले है मीट की दुकान धार्मिक स्थल से 50 मीटर दूर जबकि मुख्य गेट से 100 मीटर दूर से कम न हो। दूसरा है मीट की दुकान सब्जी मंडी या सब्जी की दुकानों के पास न हो तीसरा मीट की दुकान के अंदर जानवर या पक्षी नहीं काटे जाने चाहिए चौथ है मीट की दुकानों में काम करने वालों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना होगा। मीट की क्वालिटी पशु डॉक्टर से प्रमाणित करवानी होगी। शहरी इलाकों में सर्किल ऑफिसर नगर निगम य नगर पालिका और फूड सैफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेसन से एन ओसी लेनी होगी। मीठ दुकानदार बीमार य प्रेगनेट जानवर नहीं काट सकेगा मीत दुकानदार हर 6 महीने में अपनी दुकान की सफेदी करवाएगा । मीत काटने के चाकू और दूसरे धारदार हथियार स्टील के होंगे। मीट जिस फ्रिज में रखा जाएगा। उसका दरवाजा पारदर्शी होगा। मीट की दुकान में गीजर जरूरी है। दुकान के बाहर पड़े या गहरे रंग के गिलास लगे हों ताकि बाहर से किसी को मीट दिखाई न दे। एफ एस डी ए के किसी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस रद्द हो जाएगा।
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