पाषाणकाल जैसी बनी पुरानी बिल्डिंग खंडहर में तब्दील
जिला संवाददाता
अमित गुप्ता
कदौरा जालौन
कदौरा/जालौन जनपद के 9 ब्लॉकों में इकलौता कदौरा ब्लाक जो अंग्रेजों की याद ना चाहते हुए भी दिला ही देता है। क्योंकि ब्लॉक में बनी पुरानी कई बिल्डिंग टूट- टूट कर खंडहर में तब्दील हो चुकी है जो लंबे समय से आज भी ज्यों की त्यों ब्लॉक आने वालों को डराती है तो कहीं ब्लॉक परिसर की शोभा बिगड़ती है जबकि ब्लॉक में मैदान की कमी होने के बावजूद आखिर उक्तों बिल्डिंगों को हटाने की प्रक्रिया क्यों पूरी नहीं हो सकी। अगर हो जाती तो उनके स्थान पर साफ सुथरा मैदान या विभाग का अन्य कोई निर्माण हो जाता।
विकासखंड कदौरा परिसर में अधिकारी कर्मचारी दफ्तर से लेकर मीटिंग हाल सब बना हुआ है लेकिन इन्हीं दफ्तरों के बीच जगह-जगह पुरानी बिल्डिंग टूटी हुई खंडहर बनकर खड़ी हुई है। जिससे ब्लॉक परिसरर की शोभा भी बिगड़ी है और जगह भी व्यर्थ है बीते 30 सालों से अधिक समय से इन खंडहरों को ऐसे ही देखते आ रहे हैं। सूत्रधारों द्वारा आप्रमाणित तौर पर बताया है कि कदौरा नगर में नवाबी शासन काल में जब पुराना थाना बना हुआ था आजादी के बादयह ब्लॉक कार्यालय संचालित है और तभी से युक्त बिल्डिंग बनी हुई है जिसके बाद इनकी मरम्मत भी हो चुकी है लेकिन हर बिल्डिंग का लेटर कमजोर होने के बाद उक्त भवन खंडहर में तब्दील हो चुके हैं जो केवल ब्लॉक की शोभा ही नहीं बिगड़े बल्कि बेहद डरावने भी है।और यही खंडहर जनता के लिए कभी सुलभ शौचालय या पेशाब घर के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। फिलहाल सूत्रों की माने तो ब्लॉक से पूर्व अधिकारियों द्वारा उक्त बिल्डिंग को जर्जर लिखकर ऊपर अवगत भी कराया जा चुका है लेकिन कब तक इसकी सुनवाई होती है यह विचारणीय हैकई प्रधानों व कर्मचारियों की आपसी चर्चा में सुना गया है। कि यदि उक्त खंडहर वह पुरानी बिल्डिंग को गिरकर उसे मैदान या अन्य कोई निर्माण हो जाए तो तो विभाग स्वच्छ व सुंदर भी होगासाथ में अन्य कोई दफ्तर निर्माण भी हो सकता है। फिलहाल विचारणीय है कि आजादी से पहले या बाद में पुराने निर्माण में जो भी बिल्डिंग या दफ्तर बने हैं भले ही वह किसी काम के नहीं है और ना ही पुरातत्व जैसा उनमें कुछ हो लेकिन आज भी उन्हें हटाने गिराने में कोई पर भी जल्दी नहीं हो पाती बस काग़ज़ दौड़ते रहते हैं और उक्त जर्जर भवन अपने अकड़ में खड़े हैं
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