बड़े ही धूमधाम के साथ निकली माँ हुलका देवी त्रिवर्षीय बड़ी पूजा की शोभायात्रा
कोंच (जालौन) आपदा एवं महामारी से बचाव के लिए त्रिवर्षीय माँ हुलका देवी की बड़ी पूजा बर्ष 1913 से लगातार बड़े ही धूमधाम के साथ अनवरत रूप से निकलती आ रही है जिसमें आपदा पर आस्था भारी देखी जा रही है और उमड़ता जन सैलाब आस्था को प्रत्येक आने वाली पूजा पर मजबूत करता चला जा रहा है और लोगों का दृण निश्चय है कि माँ की कृपा से हमारे क्षेत्र में कोई भी महामारी नहीं आ सकती
माँ हुलका देवी त्रान्तरिक बड़ी पूजा तीन वर्ष में निकाली जाती है यह शोभायात्रा मुहल्ला मालवीय नगर स्थित लाला हरदौल मन्दिर से प्रारम्भ होकर मुख्य मार्ग बजरिया पॉवर हाउस अमरचंद्र इंटर कालेज स्टेट बैंक चन्दकुआँ चौराहा से सागर चौकी होते हुए रेलवे क्रासिंग मार्कण्डेश्वर तिराहा से उरई रोड स्थित प्राचीन माँ हुलका देवी मन्दिर के लिए निकलती है जिसमें लाला हरदौल मन्दिर पर बिधि विधान पूर्वक पूजन अर्चन कर माता के डोला को भक्तों द्वारा धारण कर शोभायात्रा के रूप में निकाला गया इस दौरान स्त्री एवं पुरुष बच्चे और बहनों में आस्था का सैलाब देखा गया जो माता के करुणामय रस में भाव विभोर होकर अविरल अश्रु धारा लिए माँ की बिदाई के लिए शोभायात्रा में चल रहे थे और भारी मन एवं करुणक्रमदन के साथ माता के जयकारों से आसमान गुंजायमान कर रहे थे शोभायात्रा में ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नगर के साथ साथ सम्पूर्ण क्षेत्र उमड़ पड़ा जिसमें माताएं अपने बालों को खोलकर नंगे पैर माँ के डोला के साथ साथ चल रहीं थीं जिसमें मान्यता है कि महिलाएं रेलवे क्रासिंग तक ही माता को बिदाई देतीं हैं इसके उपरांत द्रवित मन से अपने घरों को वापिस उनका आशीर्वाद लेकर लौट जाती हैं आपदा पर आस्था का जन सैलाब जब इतना भारी है तो लोगों का विश्वास है कि माता की कृपा से दैवीय आपदा नगर व क्षेत्र में आ ही नहीं सकती।
विधि विधान पूर्वक सम्पन्न हुई त्रिवार्षिक माँ हुलका देवी शोभायात्रा
*कोंच*(जालौन)दिन शनिवार को मुहल्ला मालवीय नगर स्थित लाला हरदौल मन्दिर से दैवीय आपदा की रक्षक माँ हुलका देवी की शोभायात्रा विधि विधान पूर्वक प्रारम्भ हुई जिसमें सर्व प्रथम भक्त श्रीमती रानी नाई के घर अनुष्ठान करने जाते है क्योंकि माँ की इस परम्परा से श्रीमती रानी का गहरा सम्बन्ध रहा है इसके उपरांत लाला हरदौल मन्दिर पर महिलाएं गांठ बंधन की रस्म अदा करती है और मन्दिर के महंत मैया को विदा करने की परंपरा का निर्वहन करते है वहीं माता के डोला के आगे आगे त्रिधारा एवं माता की भेंट चलती है और उनके पीछे आस्था का सैलाब चलता है यह शोभायात्रा को मुहल्ला गांधी नगर स्थित लाला हरदौल मन्दिर पर आकर विश्रामित होती है जहां पर सेठ सिकरी वालों के परिवारीजनों द्वारा पूजन अर्चन के उपरांत शोभायात्रा पुनः प्रारम्भ हो जाती है औऱ माँ हुलका देवी मंदिर पड़री पर पहुंचकर भक्तों द्वारा माँ की विधि विधान से पूजन अर्चन कर शोभायात्रा को विश्रामित की जाती है इस शोभायात्रा में सैकड़ों की संख्या में घुल्ला चलते है वहीं शोभायात्रा के स्वागत के लिए श्रद्धालुओं द्वारा शोभायात्रा मार्ग पर जगह जगह प्रसाद के रूप में भक्तों द्वारा भंडारों का आयोजन किया गया जिसमें सर्वत ठंडाई चना पूड़ी सब्जी मिष्ठान हलुआ शीतल जल आदि का बितरण किया गया वहीं सुरक्षा व्यबस्था को दृष्टिगत रखते शोभायात्रा मार्ग पर जगह जगह पुलिस बल व पी ए सी के जबान मुस्तेद रहे।
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