नीमा संस्था ने भगवान धन्वंतरि की मनायी जयंती

कोंच (जालौन) भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना जाता है और धन्वंतरि ने आयुर्वेद को आठ श्रेणियों में बांटा था यह श्रेणियां शल्य शाल्क्य काया चिकित्सा भूत विद्या कोमार भृत्य अगद तंत्र रसायन तंत्र और बाजीकरण तंत्र हैं भगवान धन्वंतरि के बंशज दिबोदास ने काशी में शल्य चिकित्सा का पहला विद्यालय स्थापित किया था पौराणिक कथा के मुताबिक समुद्र मंथन से भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसी लिए इन्हें आरोग्यता प्रदान करने बाला देवता माना जाता है और इन्हें देवताओं के चिकित्सक के रूप में जाना जाता है जिस पर दिन बुधवार को नीमा इकाई द्वारा मुहल्ला पटेल नगर स्थित डॉ बाबूराम आनंद शर्मा अस्पताल में एक कार्यक्रम आयोजित कर विश्व के अच्छे स्वास्थ्य व कल्याण की कामना की कार्यक्रम में सर्व प्रथम बरिष्ठ चिकित्सक हरीमोहन गुप्ता ने भगवान धन्वंतरि के चित्र पर तिलक लगाकर व पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया इसके उपरांत उपस्थित समस्त चिकित्सकों ने आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरि पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया कार्यक्रम में नीमा अध्यक्ष डॉ आलोक निरंजन ने बोलते हुए कहा कि भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में बारह वां अवतार भगवान धन्वंतरि का है और यह समुद्र मंथन मैं अपने हांथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे और धन्वन्तरि जी की पूजा करने से सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है और उन्होंने आयुर्वेद के अष्टांग का विभाजन किया इसी कड़ी में अन्य चिकित्सकों ने भी अपने अपने विचार रखते हुए भगवान धन्वंतरि जी को याद किया इस अवसर पर डॉ दिनेश उदैनिया डॉ केशव सिंह डॉ प्रह्लाद डॉ प्रदीप डॉ दिलीप अग्रवाल डॉ अनुज पटेल डॉ संजीब निरंजन डॉ अखलेश निरंजन डॉ सुशील तिवारी डॉ हर्ष वर्धन डॉ रविन्द्र अग्रवाल डॉ अजय तिवारी डॉ सतीश शुक्ला सहित तमाम चिकित्सक मौजूद रहे कार्यक्रम के अंत में डॉ आनंद शर्मा ने विश्व के अच्छे स्वास्थ्य एवं कल्याण की कामना करते हुए आये हुए चिकित्सकों का ह्रदय से आभार किया।
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