शासन की शिक्षा नीति में पलीता लगाते सरकारी स्कूलों के शिक्षक

Dec 9, 2024 - 07:38
 0  55
शासन की शिक्षा नीति में पलीता लगाते सरकारी स्कूलों के शिक्षक

 रिपोर्ट विजय द्विवेदी 

जगम्मनपुर ,जालौन । हर बालक व किशोरवय को शिक्षित कर देश के विकास में योगदान करने के योग्य बनाने के लिए जिम्मेदार शिक्षक राष्ट्र के भविष्य छात्र-छात्राओं को अशिक्षा की ओर ले जा रहे हैं । कुछ शिक्षकों का यह आचरण राष्ट्र के प्रति विश्वास घात करने का जघन्य अपराध जैसा है।

विकासखंड रामपुरा अंतर्गत ऐसे अनेक या बहुतायत विद्यालय ऐसे हैं जिनमें पचास हजार से एक लाख रुपए प्रतिमाह वेतन पाने वाले राष्ट्र निर्माता एवं गुरु पद से अलंकृत शिक्षक अपने महान व पवित्र कर्तव्य का पालन ना करते हुए अपनी मनमर्जी के मालिक बन जब मन होता है तब विद्यालय आते है, जब मन नहीं होता तो नहीं आते हैं , जब मन करता है विद्यालय बंद कर चले जाते हैं । यदि किसी विद्यालय में चार अध्यापक हैं तो वारी-वारी से अनुपस्थित रहकर महीने के 24 - 25 शिक्षण दिवस के सापेक्ष 12 - 13 दिन विद्यालय आकर अपने कर्तव्य का आधा अधूरा पालन करते हैं । यदि विलंब से आने वाले अथवा यदा - कदा आने वाले अध्यापक से प्रतिदिन या समय पर आने के लिए कहा जाए तो वह स्वयं किसी बड़े नेता, जनप्रतिनिधि का रिश्तेदार या करीबी अथवा किसी अधिकारी का कृपा पात्र बताकर ठुर्रस दिखाते हुए "मैं अपनी मर्जी से आऊंगा - जो दिखाई दे वह करो" का जुमला समाने वाले के मुंह पर दे मारता हैं । नेताओं, राजनीतिक व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों का करीबी होना किसी व्यक्ति को यह अधिकार नहीं देता कि वह लोक सेवक के कर्तव्य का सही पालन न करें, खास तौर से शिक्षक वर्ग को यह इजाजत तो कतई नही दी जा सकती जिनके हाथों में राष्ट्र के भविष्य निर्माण का गुरुतर दायित्व है । शिक्षक समाज का निर्माता होता है , राष्ट्र के भविष्य का विधाता होता है लेकिन इस महान कर्तव्य को ना समझ पाने वाले व विद्यालय ना आने, विलंब से विद्यालय आना और जल्दी चले जाना की नीति का पालन करने बाले शिक्षक शायद यह नहीं समझ रहे कि वह जाने अनजाने में कैसा पाप एवं अपराध कर रहे हैं , वह अपनी मातृभूमि अपने देश के साथ कैसा चल कपट कर रहे हैं , इस घोर अपराध के लिए उनका शिक्षा विभाग व संबंधित अधिकारी अपने किसी स्वार्थ में अथवा क्षुद्र उत्कोच के लालच में उन्हें भले ही दंडित ना करें लेकिन यह धरती माता जहां का अन्न जल एवं वायु का सेवन करके वह पले बढ़े हैं वह मातृभूमि उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगी।

गत शनिवार को पांच सदस्यीय पत्रकारों का एक दल किसी विषय विशेष का अन्वेषण करने हेतु रामपुरा क्षेत्र के नदियापार सिद्धपुरा की ओर गया उसी समय देखा कि अपराह्न 1:30 बजे राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय सिद्धपुरा एवं सिद्धपुरा के प्राथमिक व जूनियर हाई स्कूल हुआ प्राथमिक विद्यालय मुल्ले का पूरा पूरी तरह से बंद हो चुके थे । शिक्षक आए थे अथवा नहीं आए थे यह तो नहीं पता लेकिन रास्ते में छात्र-छात्राएं मटरगश्ती करते अपने-अपने घर की ओर अवश्य जा रहे थे ।लेकिन पत्रकारों का यह दल जब वापसी में 2:50 बजे वापस आ रहा था तब प्राथमिक विद्यालय चांदनपुरा के बंद गेट के अंदर बच्चों के द्वारा व्यायाम पी.टी. किए जाने की आवाज आ रही थी । उत्सुकतावश जब विद्यालय में प्रवेश किया तो उपस्थित शिक्षक एवं छात्र प्रश्नवाचक दृष्टि से पत्रकारों को देखने लगे। शिक्षको द्वारा पूछे जाने पर पत्रकारों ने अपना परिचय देते हुए उधर से गुजरते हुए एकमात्र विद्यालय खुले होने की बात बता उनके कर्तव्य पालन की प्रशंसा की । प्रधानाध्यापक राहुल, सहायक अध्यापक निर्मला शाक्यवार एवं प्रेम नारायण शिक्षा मित्र ने बताया कि विद्यालय में 62 बच्चे पंजीकृत हैं जिसमें मौके पर 55 छात्र-छात्राएं मौजूद है । प्रधानाध्यापक ने बताया की 10:00 बजे से 2:30 बजे तक शिक्षण कार्य के बाद 30 मिनट तक अर्थात 3:00 बजे तक बच्चों को स्वस्थ रखने हेतु शारीरिक व्यायाम के लिए सूर्य नमस्कार अथवा क्रमोत्तर पी.टी कराई जाती है । विद्यालय के बाहर आए कुछ ग्रामीणों ने शिक्षकों के कार्य व व्यवहार की प्रशंसा की।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow