युगों पुरानी परम्परा है हरियाली तीज का बृत, इसी दिन महादेव पार्वती जी को पुन: पति के रूप में मिले थे

Aug 19, 2023 - 18:19
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युगों पुरानी परम्परा है हरियाली तीज का बृत, इसी दिन महादेव पार्वती जी को पुन: पति के रूप में मिले थे

अमित गुप्ता

संवाददाता

कालपी जालौन सुहाग पर्वों में महिलाओं का अत्यंत प्रिय पर्व " हरियाली तीज" जो श्रावण महिने के शुक्ल पक्षी की तृतीया को रखा जाता है ! इस पर्व की वृत परम्परा युगों पुरानी मानी जाती है!पर्व से जुड़ी शिव महापुराण की कथा कहती है कि आदिकाल में जब माता सती ने अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में पति महादेव के अपमान से आहत होकर हवन कुंड में कूदकर अपने प्राण दे दिए थे तब सती के दाह से दुखी महादेव उनकी मृत देह को कंधे पर लादकर विक्षुब्द हो इधर उधर घूमने लगे और जहां जहां उनके अंग गिरे वहां वहां शक्ति पीठ बन गये!उधर मां सती जन्म पर जन्म लेकर महादेव को पुन: पति के रूप में पाने के लिये तपस्या करती रहीं अंतत:107 वें जन्म में पर्वतराज हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में उनकी तपस्या फलीभूत हुई और श्रावण मास के शुक्ल पक्षा की तृतीया को महादेव शिव उन्हें पति के रूप में पुन: प्राप्त हुए ! 

मां पार्वती की इस महान तप साधना से अनुप्राणित होकर स्त्रियां सदियों से यह वृत रखती आ रहीं हैं !इस सुआग पर्व पर प्रत्येक सुहागिन महादेव शिव से यही प्रार्थना करती है कि उन्हें भी माता पार्वती जेसा अखंड सुहाग का वरदान मिले और वे अपने पति के प्रत्येक सुख दुख में उनके कंधे से कंधा मिलाकर अर्धांग्नी का कर्तव्य सही मायने में निभा सकें ! 

भारतीय तिथि पंचांग के अनुसार इस वर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया 18 अगस्त

रात्रि 08.01 मिनट से शुरु होकर 19अगस्त रात्रि 10.19 मिनट पर समाप्त होगी ! इस आधार पर उदया तिथि के अनुसार हरियाली तीज का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा!श्रावण में पड़ने के कारण इस श्रावणी तीज को हरियाली तीज के नाम से जाना जाता है!

आपको बताते चलें कि इस पर्व पर मां पार्वती और भगवान शिव की मिट्टी की प्रतिमायें बनाकर पूजन की परम्परा हमारे धर्म ग्रंथों में वर्णित है !शास्त्रीय परम्परा के अनुशार तीज के दिन महिलाओं द्वारा बृम्ह मुहूर्त में उठकर नित्य कर्म से निवृत होकर स्नान के उपरांत भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए तीज वृत का संकल्प लिया जाता है !तदुपरांत पूजन स्थल पर साफ स्वच्छ लकड़ी की चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगा जल मिलाकर शिवलिंग शिव पार्वती तथा श्री गणेश के साथ रिद्धि सिद्धि की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं !फिर उन्हें सुन्दर पुष्पों और वस्त्रलंकारों से सजाया जाता है !इस पर्व पर माता पार्वती को विशेष रूप से हरी चुनरी हरे कांच की चूड़ियां , मेंहदी , महावर , कुमकुम ,इत्र , सिंदूर , बिंदी आदि सोलह श्रंगार अर्पित किया जाता है ! फिर बेलपत्र , धतूरा ,पान , सुपारी , अक्षत , दुर्वा, पुष्प तथा पंचामृत आदि समर्पित कर धूप दीप से देव विग्रहों का विधिवत पूजन किया जाता है ! इसके बाद तीज माता की कथा और आरती के बाद भोग प्रसाद वितरण के उपरांत वृत का पारण किया जाता है !इस दिन सुहागिन महिलाएं सोलह श्रंगार करती हैं! हाथों में मेंहदी लगातीं हैं झूला झूलती हैं और सावन के गीत गाकर हरियाली तीज का उत्सव पूरी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनातीं हैं  इसलिए है भारत की नारी महान सनातन संहकृति का वैदिक और पौराणिक साहित्य भारत की पतिवृता नारियों की अदम्य जिजिविषा और गौरव गरिमा के उदाहरणं से भरा पडा़ है ! भारतीय इतिहास की महान नारियों की गहन तप ऊर्जा से आप्लावित पवित्र धर्मों की सुदीर्घ श्रंखला हमारी संस्कृति को एक अनुठा उच्चतम आयाम देती है !निर्जल उपवास की तप ऊर्जा को अपने अवंस में धारण कर नख सिख सोलह श्रंगारों से अलंकृत सुहागिन स्त्रियों द्वारा ईश्वर से पति व संतान के मंगल कल्याण और स्वस्थ सुदीर्घ जीवन की प्रार्थना हमारी ऐसी दिव्य परंपरा है जो दुनियां की किसी अन्य संसकृति में नहीं मिलती! यह परम्परा हमारी मूल मान्यताओं में पति पत्नी के जन्म जन्मांतर के संबन्धों की आस्था को प्राणवान बनाती है ! हमारे बड़े बुजुर्गों द्वारा विवाहित महिलाओं को दिए जाने वाला "सदा सुहागिन " का आशीर्वाद भी तमाम पर्वों से प्रभावित होता है ! तेजी से आधुनिक होते जा रहे हमारे सामाजिक जीवन पर भले ही बाजार की चकाचौंध हावी होती जा रही हो लेकिन नारियों की आस्था अपनी इस अनमोल परम्पराओं के प्रति जरा भी कम नहीं दिखती !

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