अधर्म पर धर्म की बुराई पर अच्छाई की हुई जीत
कोंच(जालौन) अभिमानी रावण और उसके महान बलशाली बेटे मेघनाद का दिन मंगलवार को राम और लक्ष्मण ने संहार करके धर्म की स्थापना का मार्ग प्रशस्त किया कोंच की ऐतिहासिक रामलीला के 171 वें महोत्सव में धनुताल के विशाल मैदान में हजारों की भीड़ ने राम-रावण तथा लक्ष्मण-मेघनाद के बीच हुए घनघोर युद्घ की गवाह बनी रामलीला के अंतिम मैदानी आयाम दशहरा मेला में युद्घ क्षेत्र पूरे विस्तार में दर्शाया गया जिसमें राम और रावण के सैन्य शिविर दिखाए गए रावण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई परंपरागत रूप से चालीस फीट रखी गई थी पुतलों ने मैदान में दौड़ दौड़ कर युद्घ को सजीवता प्रदान की
नगर के दक्षिण में स्थित धनुताल के मैदान में दिन मंगलवार को दशहरा मेला का आयोजन परंपरागत रूप से किया गया मैदान के पूर्वी छोर पर पचास फीट ऊंची पक्की लंका दृष्टव्य थी जिसके सबसे ऊपरी झरोखे में जनकनंदिनी सीता विराजमान थीं वहीं सामने रावण और मेघनाद के पुतले गाड़ियों पर कसे युद्घ के लिए तैयार खड़े थे मैदान के पश्चिमी छोर पर लंका विजय हनुमान मंदिर पर राम का सैन्य शिविर दर्शाया गया था जबकि मैदान के दक्षिणी तरफ धनुताल के तट पर नंदीग्राम एक मचान के रूप में दर्शाया गया था जहां भरत और शत्रुघ्न विराजमान थे मैदान में भीड़ जुटती रही और युद्घ के नगाड़े बजते रहे सायंकाल युद्घ प्रारंभ होता है और सबसे पहले मेघनाद का पुतला युद्घ के लिए प्रस्तुत होता है हाथी पर सवार लक्ष्मण और हनुमान उससे युद्घ करने आते हैं दोनों ओर से वाणों की बर्षा और हनुमान की गदा के प्रहार दर्शकों को रोमांचित कर रहे थे तकरीबन एक घंटे तक चले इस युद्घ में मेघनाद की अमोघ शक्ति से लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं और युद्घ थोड़ी देर के लिये बंद हो जाता हैं हनुमान संजीवनी बूटी लेने जाते हैं और भरत के वाण प्रहार से आहत हो गिर पड़ते हैं तब भरत उन्हें वाण से लंका भेजते हैं इसके बाद एक बार फिर मेघनाद-लक्ष्मण युद्घ शुरू होता है और अंतत: मेघनाद धराशाई हो जाता है और उसके पुतले को आग लगा दी जाती है पालकी में बैठी सुलोचना दर्शकों पर टूटी चूड़ियां फेंक कर अपने पति की मृत्यु पर आक्रोश प्रकट करती है
इसके बाद रावण स्वयं युद्घ के लिए उपस्थित होता है और तीन दर्जन कहारों से युक्त विमान में बैठ कर राम लक्ष्मण उससे युद्घ करने के लिए आते हैं इनके पीछे विमान में ही बैठे अतुल चतुर्वेदी दोनों मूर्तियों को चंवर डुला रहे थे और उन्हें वाणों की आपूर्ति का गुरुतर भार भी निभा रहे थे राम-रावण के बीच भयानक युद्घ होता है हनुमान भी हाथी पर बैठ कर युद्घ क्षेत्र में भ्रमण करते दिख रहे हैं बड़ा ही अनुपम दृश्य वहां उपस्थित था अंत में राम के वाणों में बिंध कर रावण डोलता हुआ धरती पर आ गिरता है और पुतले में आग लगा दी जाती है इस पूरे घटनाक्रम में दौड़ते पुतले कौतूहल तो पैदा कर ही रहे थे बार बार पुतलों का गिरना और फिर युद्घ के लिए खड़े हो जाना युद्घ को जीवंतता प्रदान कर रहे थे हनुमान की भूमिका मोहनदास नगाइच राबड़ साकेत सोनी और मेघनाद ऋषि झाँ ने निभाई वहीं मेला ग्राउंड को सजाने सवांरने में नगर पालिका की टीम पालिकाध्यक्ष प्रदीप कुमार गुप्ता अधिशाषी अधिकारी पवन किशोर मौर्य सफाई इंस्पेक्टर हरिशंकर निरंजन आर आई सुनील कुमार के निर्देशन में लगी रही इस अवसर पर धर्मादा रक्षिणी सभा के अध्यक्ष विजय कुमार गुप्ता उर्फ भोले मंत्री बिनोद दुबे लौना कोषाध्यक्ष मुकेश सोनी क्षेत्रीय विधायक मूलचंद्र निरंजन व पालिकाध्यक्ष प्रदीप गुप्ता ने वहां भाजपा के शिविर में मौजूद रहकर लोगों को दशहरा की शुभकामनाएं दी वहीं रामलीला समिति के अध्यक्ष सुशील निरंजन मंत्री राहुल तिवारी कोषाध्यक्ष गौरव सहित केशव बबेले राजीव पटेल हरीश तिवारी अखिलेश बबेले अभिषेक रिछारिया पुन्नी अतुल शर्मा, छुन्ना धनौरा अरविंद मिश्रा अखिलेश चचौंदिया आदि रहे।
सुरक्षा की पुख्ता इंतजाम किए गए थे मेले में
नगर की सांस्कृतिक धरोहर दशहरा मेला में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे एसडीएम अतुल कुमार व पुलिस क्षेत्राधिकारी रामसिंह के निर्देशन में प्रभारी निरीक्षक नागेंद्र कुमार पाठक कोतवाल क्राइम बीरेन्द्र सिंह बरिष्ठ उपनिरीक्षक उदय प्रताप सिंह उपनिरीक्षक बलराम शर्मा अश्वनी तिवारी सन्दीप कुमार नीतीश कुमार आदि भारी पुलिस बल के साथ मैदान में डटे रहे भीड़भाड़ को देखते हुए सर्किल के अन्य थानों से अतिरिक्त फोर्स बुलाया गया था किसी भी बिषम परिस्थित से निपटने के लिए फायर सर्विस और एंबुलेंस की गाड़ियां भी मैदान में रखी गई थीं।
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