24 मार्च को होगा होलिका दहन
कोंच(जालौन) हिरणाकश्यप के कहने पर होलिका भक्त प्रहलाद को करने के लिए अपनी गोद में बैठकर आज में प्रवेश कर गई लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से सब भी भक्त पहलाद बच गए और होलिका जल गई तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन किया जाता है मान्यता यह भी है कि होलिका दहन की अग्नि को एक जलते हुए शरीर का प्रतीक माना गया है और इस लिए नव विवाहिता को ससुराल में पहली होली नहीं देखनी चाहिए इसी परम्परा के चलते दिन रबिवार को होलिका दहन का सर्व श्रेष्ठ महूर्त रात्रि 11 बजकर 13 मिनट से देर रात्रि तक रहेगा होलिका दहन के उपरांत लोग होलिका दहन स्थल से अग्नि को लाकर अपने घरों में विधि विधान पूर्वक होली जलाते हैं और अगले दिन रंग गुलाल लगाते है जिसमें सभी बुराइयों को भुलाकर एक दूसरे से गले मिलते हैं इसी लिए इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है और जगह जगह होली मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते है।
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