यूरिया का विकल्प सिर्फ और सिर्फ देशी गाय का दही
कोंच (जालौन) कृषि प्रधान देश भारतवर्ष में लगातार हो रहे मौसमी बदलाव के साथ-साथ फसलों में समय-समय पर पैदावार की कमी होने के अनेकों कारण वैज्ञानिकों द्वारा ढूंढे जा रहे हैं जबकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि पर आधारित 70% लोग इसे ही अपनी आजीविका चलाने के साथ-साथ देश में भी किसान के रूप में अग्रणी भूमिका आदा करते हैं,वहीं इस समय विषम परिस्थित में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा फार्मूला ईजाद किया है जिससे कृषि प्रधान देश को आने वाली चुनौतियों से बचाया जा सकता है।
बताते चलें कि वैज्ञानिकों ने गाय की दही से फसलों को बचाकर और अधिक और वर्ग का प्रदान की जा सकती है ज्ञात हो कि जहां 50 किलो की एक यूरिया बोरी बोरी के स्थान पर 2 किलो गाय का शुद्ध दही को किसी बर्तन में तांबे का टुकड़ा डालकर पंद्रह दिन रखकर उस दही का फसल में छिड़काव करने पर पौधा शतत 45 दिनों तक हरा भरा रहेगा जबकि यूरिया से पौधा मात्र 25 दिन ही हरा भरा रह सकता है जबकि 50 किलोग्राम यूरिया से 2 किलो दही कहीं अधिक कारगर साबित होता है और इसका खर्च भी बहुत काम आता है लेकिन गौरतलाप बात है कि इस प्रयोग से कहीं ना कहीं गए माता का संवर्धन संरक्षण होने के साथ-साथ उनके वर्तमान अंधकारमय भविष्य से छुटकारा देकर गाय माता के संरक्षण संवर्धन मिशन को मजबूती प्रदान की जा सकती है तथा लोगों में गाय के प्रति पनपी उदासीनता को दूर कर हर किसान को इसे अपने घर पर रखने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
आपको बताते चलें कि भारत वर्ष में इस समय एकमात्र सिक्किम राज्य जहां यूरिया पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है लेकिन फिर भी वहां किसान बहुत ही अच्छे ढंग से अपनी उपज को अत्यधिक मात्रा में पैदा कर संपूर्ण देश के किसानों को यूरिया के स्थान पर देसी गाय के दही के इस उपयोगी फार्मूले को अपनाकर पहले से कहीं अधिक फसल प्राप्त कर रहे हैं तथा दूसरों को भी इस नए फार्मूले को उपयोग में लाने के लिए एक संदेश दे रहे हैं जिससे आगामी भविष्य में कृषि योग्य जमीन बेकार न होकर कृषि योग्य होकर और अधिक फसलों का प्रचुर मात्रा में उत्पादन करने में मदद मिल सके।
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