भाजपा मे आये आयतित दिग्गज नहीं दिखा सके कोई करिश्मा साबित हुए दगे हुए कारतूस

उरई (जालौन) चुनाव के मौके पर जिले के तमाम दिग्गजों को सत्ता का इस्तेमाल कर भाजपा ने अपनी शरण में आने को मजबूर कर दिया था लेकिन यह तोड़फोड़ उसके लिए फलदाई साबित नहीं हुई लोगों ने भाजपा के आयातित दिग्गजों की मतों के लिए पैरवी खोटे सिक्कों की तरह खारिज कर दी ।
लोक सभा चुनाव के प्रचार अभियान के साथ ही भाजपा ने दूसरी पार्टियों से जुड़े जनप्रतिनिधियों और अन्य प्रभावशाली लोगों को अपने यहां शामिल करने का जबरदस्त अभियान छेड़ दिया था जिसके तहत उरई नगर पालिका पूर्व अध्यक्ष विजय चौधरी कालपी नगर पालिका के अध्यक्ष अरविंद यादव गत विधानसभा चुनाव में माधोगढ़ से बसपा प्रत्यासी रहीं शीतल कुशवाहा बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष मूलशरण कुशवाहा कालपी के सपा विधायक विनोद चतुर्वेदी के सुपुत्र आशीष चतुर्वेदी सपा के माधवगढ़ विधानसभा क्षेत्र के पूर्व अध्यक्ष प्रवल प्रताप सिंह अटागांव और माधोगढ़ के पूर्व ब्लॉक प्रमुख सुदामा दीक्षित आदि को भाजपा में शामिल कर लिया था ऐसे नेताओ की लंबी फेरहिस्त है जिसके आधार पर भाजपा यह गुमान कर रही थी कि लोकसभा वर्तमान चुनाव की नैया वह आसानी से पार कर लेगी लेकिन ये सारे हेवीवेट नेता चुनाव मे दगे हुए कारतूस साबित होकर रह गए आज सोमवार को मतदान के दिन देखा गया कि भाजपा की अपनी मशीनरी ही बूथों पर विपक्ष से मोर्चा ले सकी है क्या भाजपा के रणनीतिकार इस अनुभव के मद्दे नजर कोई सबक सीखेंगे । भाजपा के पदाधिकारी की भी मतदाता की विरोधी लहर को समझने में अक्षम दिखे ।
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