इतना विशाल ताजिया कि उठाने के लिए बुलानी पड़ी क्रेन
संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता
उतरौला(बलरामपुर) मोहर्रम की नौवीं तारीख की शाम जिले के तमाम ताजियादारों ने अपने घरों, इमामबाड़ों व इमामचौक पर रोज़ा ए इमाम हुसैन व कर्बला के नक्शे में ताजिया रखकर जियारत किया। बाद नमाज मगरिब घरों, इमामबाड़ों व इमाम चौक पर मजलिस और नजर फातिहां का सिलसिला शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। ताजिया दारों ने अपने घरों व इमामचौक पर ताजिया, जुलजना व ताबूत रखकर नजर फातिंहा कराया। लाउडस्पीकर पर धीमी स्वर में मरसिया और नोहा बजता रहा।
जनपद के तमाम घरों पर तकरीरी प्रोग्राम का आयोजन कर लोगों ने जिक्र ए इमाम हुसैन व कर्बला के बयानात को सुनकर या हुसैन इमाम हुसैन या अली की सदाएं बुलंद की।
कमर में घुंघरू बांधे व हाथों में मोर पंख लिए पायक बने लोगों ने रात भर चलकर ताजिया की जियारत कर अपनी मन्नत को पूरा किया।
जनपद के उतरौला, हुसैनाबाद, नाऊडीह इटईरामपुर, गैड़ास बुजुर्ग, कपौवा , गायडीह, मधपुर, लालगंज, चांद औलिया, सादुल्लाह नगर,पचपेड़वा, तुलसीपुर, गौरा सहित विभिन्न क्षेत्रों में लाखों रुपए की बड़ी ताजिया रखी गई। बड़ी ताजिया की जियारत करने के लिए रात भर लोगों का तांता लगा रहा । शिया समुदाय के लोगों ने अपने इमामबाड़ा व घरों में छोटी ताजिया रखी। इमामबाड़ा में रात भर मजलिस का सिलसिला चलता रहा। इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का बयान सुनकर सुन्नी व शिया समुदाय के लोगों की आंखें नम हो गई। शिया समुदाय के लोगों ने मातम कर अपने गम का इजहार किया। कर्बला में शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके लश्कर की प्यास की याद में जायरीनो व अकीदतमंदो के लिए गली मोहल्ले के विभिन्न स्थानों पर शबील लगाकर शरबत व पानी पिलाया गए। जनपद में मोहर्रम दसवीं की तारीख पर आशूराका जुलूस निकाला जाएगा। साथ ही मोहर्रम की नौवीं तारीख को रखे गए ताजिया को 10 मोहर्रम को अपने अपने क्षेत्र के कर्बला में दफन करेंगे। वहीं मुहर्रम को लेकर प्रशासन खासा सर्तक रहा और संवेदनशील क्षेत्र में पुलिस की कड़ी चौकसी रही।
जिले में मुहर्रम की दस तारीख को आशूरा का जुलूस उठता रहा है । जिसमें अलम ढोल ताशा ताजिया जुलजना, ताबूत शामिल रहेगा। अपने परंपरागत मार्ग से होता हुआ कर्बला में संपन्न होगा और है वहीं पर ताजिया दफन किया जाएगा।
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