सभी तैयारियां पूर्ण आज से बिराजेगे गण पति गणेश
कोंच (जालौन) -हिन्दू धर्म शास्त्रों में प्रथम पूज्य देवता गजानन जो विद्या सुख समृद्धि के देवता है इनकी उपासना मंगलवार कारी मानी जाती है कोई भी धार्मिक य वैवाहिक अनुष्ठान हो गणपति को सबसे पहले पूजा जाता है तभी कार्य सफल होता है विभिन्न धार्मिक ग्रंथो में गणेश जी का वाहन चूहा(मुसख) ही माना गया है विशेष बस्तुओं के पूजन भेद से गणेश जी के बहुत सारे रूप जैसे हरिद्रा गणेश दूर्वा गणेश गौमोद गणेश आदि प्रसिद्ध है इतिहासकार एवं साहित्यकार सन्तोष तिवारी सरस कहते है भगवान गणेश के 108 नाम और अनगिनत रूप है लेकिन उनका एक रूप ऐसा भी है जिसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते है उन्होंने गणेश पुराण के क्रीड़ा खण्ड का हवाला देते हुए बताया कि हर युग मे गणेश जी का रूप और उनकी सबारी बदली हुई है षट्युग में गणेश जी शेर को सबारी करते है और उनका नाम विनायक है त्रेतायुग में गणेश जी मोर की सबारी कर रहे है और उनका नाम मयूरेश्वर कहलाता है द्वापरयुग में गणेश जी चूहे की सबारी करते है और उनका नाम गजानन होता है वही कलयुग में गणेश जी घोड़े की सबारी करते है और उनका नाम धूम्रकेतु है इसलिए कलयुग में अश्वारूढ़ गणेश की उपासन की गई इस दौरान समिति के उपाध्यक्ष राहुल तिवारी ने कहा कि पंडाल और महोत्सव की तैयारियां पूर्ण हो चुकी है शुक्रवार को एक भागवत कथा की शोभायात्रा निकाली जाएगी वही नगर पालिका के सफाई निरीक्षक ने सभी मंदिरों और पंडालों पर जाकर ब्यबस्था देखी और साफ सफाई कराई गई।
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