बिशेष -होली की मिठास की शान गुझिया का रहस्य

Mar 14, 2025 - 08:10
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बिशेष -होली की मिठास की शान गुझिया का रहस्य

 के के श्रीवास्तव बुंदेलखंड व्यूरो जालौन 

कोंच जालौन होली का त्योहार खुशियों रंगों से भरा हुआ होता है. वहीं इस त्योहार पर हर जगह रंग मिठास भर जाती है. होली पर ज्यादातर घरों में गुजिया बनाई जाती है. गुजिया मुंह में जाकर घुल जाती है, लेकिन क्या आपको पता हैं कि गुजिया कहां से आई कैसे बनी होगी।आइए आपको बताते हैं कि यह कैसे बनी कहां से आई है.हम ना जानें कितने सालों से गुजिया खाते आ रहे हैं, लेकिन इसके इतिहास के बारे में काफी कम लोगों को पता होगा. ऐसा माना जाना है कि गुजिया उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके से आई थी. माना जाता है कि 16-17 सदी के बीच यह बनी थी. गुजिया को बनाने का तरीका पहले के मुकाबले अब काफ़ी बदल गया है. वहीं एक किताब में इसके बारे में लिखा गया था. जो कि पिछले सितंबर 2022 में आई थी. जिसमें गुजिया की तरह के व्यंजन को शहद गुड के मिश्रण को गर्म करके इसे आटे की परत के साथ बनाने का जिक्र है. गुजिया की शुरुआत यूपी यानी उत्तर प्रदेश में बुंदेलखंड इलाके में हुई थी. कहा जाता है कि गुजिया जैसा एक व्यंजन मुस्लिम व्यापारी 13-14 वीं सदी में लेकर आए थे. दरअसल उस दौर में अरब देशों से भारत आए मुस्लिम व्यापारी मुगल कई तरह के व्यंजन भारत लेकर आए. तुर्की का एक फेमस व्यंजन बकलावा भी बिल्कुल इसी से मिलता जुलता है. गुजिया को मुगल साम्राज्य ने 15-16 वीं सदी में अपनी शाही रसोई में लेकर आए.गुजिया का सबसे पहला ज़िक्र 13वीं शताब्दी में मिलता है. उस समय इसे गेहूं के आटे से बनाया जाता था. भरने के लिए गुड़ शहद के मिश्रण का इस्तेमाल किया जाता था.गुजिया को धूप में सुखाकर खाया जाता था.

गुजिया को होली के दिन बनाया जाता है.गुजिया को अलग-अलग नामों से जाना जाता है.महाराष्ट्र में इसे करंजी कहा जाता है. गुजरात में इसे घुघरा कहा जाता है.बिहार में इसे पेड़किया नाम दिया गया है. उत्तर भारत में इसे गुजिया गुझिया नाम से जाना जाता है.

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