रिहाना मंसूरी को सामाजिक न्याय के क्षेत्र में मिला भारत रत्न सुब्रमण्यम अवॉर्ड

उरई (जालौन), 20 मई। बुंदेलखंड के जनपद जालौन की सामाजिक कार्यकर्ता रिहाना मंसूरी को सामाजिक न्याय और वंचित समुदायों के लिए किए जा रहे उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए भारत रत्न श्री सी. सुब्रमण्यम अवॉर्ड से नवाज़ा गया है। यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उन्हें 22 मई को नेशनल फाउंडेशन फॉर इंडिया (NFI) द्वारा नई दिल्ली में आयोजित समारोह में प्रदान किया गया।
इस वर्ष 2025 में रिहाना मंसूरी पूरे भारत से ऐसी एकमात्र मुस्लिम महिला हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ है। कार्यक्रम में उन्हें यह पुरस्कार प्रो. वर्जीनियस खा खा और NCDHR की चेयरपर्सन बिना पल्लिकल ने प्रदान किया। रिहाना मंसूरी ने बताया कि वह पिछले दस वर्षों से दलित-मुस्लिम महिलाओं और बच्चों के हक, सम्मान, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सतत कार्यरत हैं। उनके प्रयासों को मान्यता देते हुए NFI ने उन्हें एक लाख रुपये की पुरस्कार राशि, ट्रॉफी और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
सम्मान ग्रहण करते हुए रिहाना मंसूरी ने कहा, “हमारा संविधान सभी को समान अधिकार देता है, लेकिन समाज में अभी भी जाति, धर्म और लिंग के आधार पर भेदभाव व्याप्त है। इस मानसिकता को बदलना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने यह भी घोषणा की कि पुरस्कार की राशि का उपयोग दलित-मुस्लिम महिलाओं के लिए एक सिलाई प्रशिक्षण केंद्र स्थापित करने में किया जाएगा, ताकि पढ़ाई से वंचित महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकें। रिहाना ने कहा, “यह कर्म युग है। यहां सभी को अपने हिस्से की भूमिका निभानी होगी। सरकार योजनाएं लाती है, लेकिन समाज की भागीदारी के बिना बदलाव अधूरा है। उन्होंने यह पुरस्कार सामाजिक बदलाव के लिए समर्पित उन सभी जमीनी कार्यकर्ताओं को समर्पित किया जो बिना पहचान के दिन-रात मेहनत करते हैं। उन्होंने एकजुटता और सहयोग को हर सामाजिक बदलाव की कुंजी बताया।
कार्यक्रम में NFI से विराज पटनायक, समीरा अहमद, NCDHR से बिना पल्लिकल, नेकडोर के चेयरमैन अशोक भारती, सतेंद्र मिश्रा और प्रो. वर्जीनियस खा खा जैसे सामाजिक क्षेत्र के दिग्गज उपस्थित रहे।
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