अमेरिका की टैरिफ का कालपी के कालीन उद्योग में असर पड़ने के आसार

कालपी (जालौन) अमेरिका सरकार के द्वारा भारत से निर्यात होने वाली वस्तुओं में 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने से कालपी में निर्मित कालीन उद्योग के व्यापार पर प्रभाव पड़ने लगा है, कालीन के कारोबार से जुड़े लगभग पांच सैकड़ा बुनकरो एवं निर्यातकों पर इसका सीधा असर पड़ने लगा है।
इस संबंध में कालीन निर्माता हाजी एहसान ने बताया कि कालपी में निर्मित कालीन बहुत ही गर्म होती है, जो ठंडे देशों में निर्यात होती है। उन्होंने कहा कि कालपी के बुनकरों द्वारा तैयार कालीन अमेरिका के लिए अधिक निर्यात होता है, कालपी से कालीन अमेरिका सीधे निर्यात नहीं होती है, बल्कि कालपी से तैयार कालीन ग्वालियर तथा दिल्ली में बेची जाती है। इसलिए दिल्ली तथा ग्वालियर के विक्रेता ही बता सकते हैं की कितनी मात्रा में अमेरिका में कालपी की कालीन निर्यात होती है। बुनकरों ने बताया कि अमेरिका के टैरिफ लागू होने का असर कालीन व्यवसाय में पड़ने लगा है। ग्वालियर एवं दिल्ली के थोक व्यापारियों ने कालपी से कालीन खरीदना फिलहाल रोक दिया है तथा खरीददार बुनकरों से कालीन खरीदने को लेकर टाल मटोल कर रहे हैं। बुनकरों मोहसिन खान, अच्छे खान, हाजी मुजीब अल्लामा आदि निर्यातकों ने भी स्वीकार किया है कि अमेरिका टैरिफ का असर कालपी के कालीन उद्योग पर पड़ने लगा है।
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आकर्षक एवं कलात्मक कालीन के लिए मशहूर है कालपी की कालीन
बीते करीब 5 दशकों से कालपी में कालीन की बुनकारी में काफी संख्या में लोग जुड़े हैं, क्योंकि यह एक घरेलू उद्योग है। अपने-अपने घरों में कारीगर कलात्मक ढंग से एक-एक फंदा लगाकर कालीन की बुनाई करते हैं। घरेलू उद्योग होने की वजह से काफी संख्या में महिला बुनकर भी इस उद्योग से जुड़ी हुई है।
महिला कालीन बुनकर को मुख्यमंत्री कर चुके हैं सम्मानित
कालपी निर्मित कालीन इतनी आकर्षक तथा सुंदर होती है कि विदेशी बाजारों में खूब डिमांड रहती है। कालपी की महिला कालीन बुनकर शमशीदा बेगम को चयन उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन निदेशालय के द्वारा किया गया था। लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ महाराज ने महिला बुनकर को राज्य पुरस्कार प्रमाण पत्र प्रदान किया था, हस्तशिल्प कला में उनकी उत्कृष्टता को लेकर जमकर प्रशंसा की गई थी।
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