दिवारी नृत्य: बच्चों और बुजुर्गों का अनोखा संगम

Oct 9, 2025 - 19:28
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दिवारी नृत्य: बच्चों और बुजुर्गों का अनोखा संगम

कोंच (जालौन) नगर में लोक संस्कृति को सहेजने और परंपराओं को जीवित रखने के उद्देश्य से माँ श्यामा देवी दिवारी नृत्य मुहल्ला भगत सिंह नगर में टीम का गठन किया गया है इस टीम का अभ्यास दिन बुधवार को रात्रि से शुरू हो गया है

इस पारंपरिक दिवारी नृत्य में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी भाग ले रहे हैं करीब 15 सदस्यीय टीम एक साथ रहकर ढोलक की थाप पर नृत्य का अभ्यास कराती है जिसमें बच्चे हाथों में लकड़ी के डंडे और लाठियाँ लेकर पारंपरिक अंदाज में नृत्य करते हैं इसे देखने के लिए रोज़ाना आसपास के लोग जुटते हैं

यह नृत्य परंपरा दशहरा से शुरू होकर दिवाली तक चलती है इस परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए नंदू चिकवा बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण दे रहे हैं ताकि बुंदेलखंड की लोक संस्कृति दिवारी नृत्य को आगे ले जा सकें और आगे बढ़ाया जा सके टीम के संरक्षक किशोरी लाल कुशवाहा त्यागी मास्टर किशोरी लाल उर्फ पप्पू वर्मा किशन लाल कमलेश कुशवाहा चंद्रभान अहिरवार भवानी शंकर आदि है तो इस टीम के सदस्य बॉबी वर्मा वीरेंद्र सिंह कल्लू कुशवाहा गजेंद्र वर्मा बब्बू गौतम काजू गौतम अंकुश गौतम पहलाद गौतम शिवम कुशवाहा अजय गौतम नरेश राठौर दिनेश राठौर रोशन गौतम राज गौतम दादा गौतम और योगेश वर्मा हैं।

स्थानीय लोगों का कहना है कि दिवारी नृत्य बुंदेलखंड की आत्मा है और पहलें हमारे समाज में लोक संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाती हैं ऐसे निःशुल्क कार्यक्रम की वह तारीफ करते हैं जो हमारी आने वाली पीढ़ी को दिवारी नृत्य के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं और अपना कीमती समय निकालकर निःशुल्क सिखाते भी हैं ताकि बुंदेलखंड की संस्कृति जीवित रह सके और आगे इसका परिणाम और अच्छा आ सके।

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