राज की पन्नाधाय बन गईं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता, अपने दृढ़ संकल्प से अति कुपोषित बच्चे को बनाया सुपोषि

लखनऊ, 20 सितंबर 2023 बक्शी का तालाब ब्लॉक के बरखुरदारपुर केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता यादव को अगर आज की “पन्नाधाय” कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आठ माह के दुधमुंहे को छोड़कर जब उसकी मां चली गई तो बच्चा कुपोषण की गिरफ्त में आ गया, ऐसे में एक बार तो परिवार के लोगों ने उस बच्चे के जीने की आस ही छोड़ दी थी लेकिन कई तरह की मुश्किलों के बीच भी सरिता ने हार नहीं मानी और अपनी लगन व दृढ़ संकल्प से उस बच्चे को कुपोषण से मुक्त कर उसे पूरी तरह से स्वस्थ बना दिया है।
बरखुरदारपुर गांव में रहने वाले “राज” की उम्र आज दो साल है। वह जब महज आठ माह का था, तभी उसकी मां उसे व परिवार को छोड़कर चली गई और दूसरी शादी कर ली। राज का जन्म दो अगस्त 2021को समय से पूर्व हुआ था और जन्म के समय वजन मात्र 600 ग्राम था। जन्म के बाद राज राम मनोहर लोहिया अस्पताल में एक माह भर्ती रहा। माँ के जाने के बाद वह अपनी दादी और ताई के पास रहने लगा। मां की अनुपस्थति और समुचित देखभाल के अभाव मे राज का वजन और लंबाई आयु के हिसाब से नहीं बढ़ रही थी और वह कुपोषित हो गया। राज को पोषण पुनर्वास केंद्र(एनआरसी) पर भर्ती करने के लिए कहा गया तो घरवालों ने यह कहते हुये मना कर दिया कि बच्चे के साथ अस्पताल में कौन रहेगा। ऐसे में सरिता आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने घर पर प्रबंधन करने का दृढ़ संकल्प लिया और सुपरवाइजर ज्योति सिंह को सारी बातों की जानकारी दी। ज्योति ने राज की दादी और ताई को बताया कि बच्चे को घर पर ही रख कर नियमित देखभाल, समुचित भोजन और साफ सफाई का ध्यान रख कर स्वस्थ किया जा सकता है। बस थोड़ा सा ध्यान देने की जरूरत है। यदि लापरवाही बरती तो वह किसी भी बीमारी की चपेट में आ सकता है, जिससे आपको शारीरिक और मानसिक रूप से तो दिक्कत होगी साथ ही में पैसे भी खर्च करने होंगे। इस काउंसलिंग के बाद राज की दादी और ताई ने उसकी जिम्मेदारी उठाने और उसकी सही देखभाल करने की सहमति दे दी। इस दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता यादव ने राज को कुपोषण से सुपोषण की श्रेणी में लाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, उन्होंने राज का पूर्ण प्रतिरक्षण भी करवाया और बच्चे को लेकर स्वास्थ्य केंद्र भी ले गई जिससे कि उसके स्वास्थ्य की सही स्थिति का पता चलता रहे। इस काम में उन्होने आशा कार्यकर्ता की मदद भी ली। जनवरी 2023 में डेढ़ साल की उम्र में बच्चे का वजन मात्र सात 7.2 किग्रा था और वह अति कुपोषण की स्थिति में था लेकिन सरिता के प्रयास से राज मार्च में अति कुपोषण से मध्यम कुपोषण की स्थिति में आ गया और अगले माह अप्रैल में बच्चा सुपोषण की स्थिति में आ गया | वर्तमान में बच्चे का वजन लगभग 10 किलो है। बाल विकास परियोजना अधिकारी जय प्रताप सिंह बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी किए गए ग्रोथ चार्ट के अनुसार बच्चा स्वस्थ है और आयु के अनुसार बच्चे का वजन और लंबाई सही है |
इनसेट ---
क्या कहते हैं परिवारीजन ---
राज की ताई बबली( काल्पनिक नाम) बताती हैं कि सरिता ने जो भी बातें बताईं, उनका मैनें पालन किया। राज को मनपसंद खाना, अर्धठोस आहार सूजी का हलवा, मसला हुआ केला, उबले हुए आलू, मसला हुआ दलिया आदि देना शुरू किया। इसके साथ ही खाना बनाते समय और राज को खाना खिलाने से पहले हाथों को साबुन और पानी से साफ कराते रहे। इसके साथ ही शौच के बाद भी बच्चे के हाथों को साबुन व पानी से अच्छी तरह से धुलवाने की आदत डाली। इसके साथ ही एएनएम दीदी ने जो दवाएं राज को खिलाने के लिए दी थीं उसे भी खिलायीं | राज की ताई बताती हैं कि सरिता दीदी हर दूसरे दिन घर आती थीं और राज को देखती थीं और कभी कभी तो वह भी उसे खाना खिलाती थीं। वह इस बात की जानकारी भी लेती थीं कि दवा उसे दी जा रही है है या नहीं |हम सब सरिता दीदी के एहसानमंद हैं कि अगर वह इतना प्रयास न करतीं तो राज का पता नहीं क्या होता। अब हम सब बहुत खुश हैं और राज भी अब स्वस्थ है |
जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेश कुमार बताते हैं कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सरिता का काम सराहनीय रहा | लोग कई कारणों से बच्चे को लेकर एनआरसी नहीं जाते हैं | जिससे बाद में समस्या होती है | राज के मामले में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने जिम्मेदारी उठाई और बच्चे को स्वस्थ किया | एक बात यह भी ध्यान देने वाली है कि एनआरसी में जो बच्चे कुपोषित होने के साथ-साथ किसी भी चिकित्सीय समस्या से ग्रसित होते हैं उनको ही भर्ती किया जाता है | संभव अभियान से यह शुरूआत की गई है कि अति गंभीर और मध्यम गंभीर कुपोषित बच्चे की पहचान कर स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से समुदाय में ही उनका प्रबंधन किया जा रहा है |
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