पंचनद दीप पर्व-4 आयोजन, कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर दीपों से जममग होंगे पंचनद तट
-चंबल अंचल वासियों से दीप पर्व में सहयोग की अपील।
वीरेंद्र सिंह सेंगर
पंचनद, औरैया:- संपूर्ण राष्ट्र में पवित्र पांच यमुना-चंबल, सिंध, पहूज और क्वांरी नदियों का, पवित्र सुंदर पंंचनद धाम तीर्थ स्थल महासंगम फिर से दीप पर्व का गवाह बनने जा रहा है।
बताते चलें कि आगामी 26 नवंबर को संविधान दिवस के अवसर पर ‘पंचनद दीप पर्व-4’ का ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है। चंबल परिवार के निरंतर विविध आयोजनों से अब यहां की फिजा बदल रही है।
पंचनद पर्व के चौथे आयोजन को लेकर चंबल परिवार प्रमुख क्रांतिकारी लेखक डॉ.शाह आलम राना उत्साह से लबरेज हैं। पंचनदा संस्कृति पर जोर हुए उन्होंने कहा कि इटावा, औरैया, जालौन और भिंड जिला मुख्यालयों से समान दूरी पर पंचनदा स्थित है,वहीं चंबल वैली पंचनद धाम क्षेत्र निवासी, चंबल परिवार के सदस्य और पंचनद पर्यटन एवम प्रवास ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह सेंगर ने अति उत्साहित होकर बताया कि विश्व में यही एक मात्र स्थल है, जहां पर पांच नदियों का अद्भुत पवित्र महासंगम होता है। यहां पर चंबल, यमुना, क्वारी, सिंध और पहूज नदियों की विशाल जलराशि का मिलन होता है। पंचनद घाटी में कई संस्कृतियों के मिलन का पुराना इतिहास रहा है। विश्व मानचित्र पर आध्यात्मिक- पौराणिक और अनूठी प्राकृतिक धरोहरें अपने तरफ आकर्षित करती हैं, साथ ही पंचनद धाम का पुराणों में भी वर्णन है लेकिन आज तक सरकारें इस क्षेत्र को तीर्थ स्थल और पर्यटन क्षेत्र घोषित करने में असफल रहीं हैं लेकिन यहां की आबो हवा में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महानायकों के संघर्ष की गाथाएं बिखरी पड़ी हैं।
संविधान दिवस और कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर तीनों जनपद के तट को रोशन करने का संकल्प लेकर चंबल परिवार के सदस्यों ने जनसंपर्क तेज कर दिया है, जहां चंबल, यमुना, सिंध,पहुज़ और क्वांरी नदियों के तट के बीहड़ी गांवों में अलग- अलग टीमें बनाई जा रहीं हैं। 26 नवंबर के दिन गैलरी वॉक और संविधान प्रश्नोत्तरी का भी आयोजन होगा। चंबल अंचल वासियों से अपील की गई है कि - एक दीप विश्व की अनोखी पंचनद संस्कृति के नाम, एक दीप स्वतंत्रता संग्राम के महानायकों के नाम, एक दीप बीहड़ को खूबसूरत बनाने वाले कर्मवीरों के नाम, एक दीप चंबल में शिक्षा की अलख जगाने वाले ज्ञानयोगियों के नाम, एक दीप संवैधानिक मूल्यों के लिए संघर्षरत प्रहरियों के नाम, एक दीप भविष्य की उम्मीदों के नाम। अपने घर से मिट्टी का दीप लाकर अपने हाथों से प्रकाशमान करें।
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