पिछले 6 माह से लंबित प्रकरण की आज तक नहीं हो पाई है जांच,मुख्यमंत्री के जनता दरबार व जिलाधिकारी का आदेश है अस्तित्वहीन

Feb 10, 2024 - 18:02
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पिछले 6 माह से लंबित प्रकरण की आज तक नहीं हो पाई है जांच,मुख्यमंत्री के जनता दरबार व जिलाधिकारी का आदेश है अस्तित्वहीन

अमित गुप्ता

कालपी जालौन

कालपी जालौन उत्तर प्रदेश सूबे की भाजपा सरकार शिकायतों के पारदर्शिता एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण के लिए लगातार हर संभव प्रयास कर रही है। विगत 1 जनवरी 2024 को गोरखपुर प्रवास पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने जनता दरबार लगाकर अधिकारियों को जनता की शिकायतों का गुणवत्तापूर्ण एवं अविलंब निस्तारण हेतु निर्देशित किया था और हीला हवाली को अक्षम्य कार्यवाही की श्रेणी में माने जाने की चेतावनी भी दी थी परंतु जनपद जालौन के अधिकारियों पर किसी के निर्देश का कोई असर नहीं होता। कालपी तहसील के अंतर्गत ग्राम मंगरौल के 8 ग्राम पंचायत सदस्यों द्वारा दी गई शिकायत को 06 माह बीत जाने के बाद भी जांच अधिकारी द्वारा जांच नहीं करना इस बात को हवा देता है। ज्ञातव्य हो कि विगत वर्ष 26 जुलाई 2023 को उक्त ग्राम के 8 ग्राम पंचायत सदस्यों ने सामूहिक रूप से जिलाधिकारी चांदनी सिंह को शपथ पत्रों के साथ शिकायती पत्र दिया था। शिकायती पत्र में ग्राम पंचायत सदस्यों अमित कुमार, दिनेश कुमार, ताराचंद, धीरेंद्र, गायत्री देवी, सुनील, सीमा देवी, अरुण आदि ने मासिक बैठक बिना सूचना दिए करना, सीसी निर्माण में मानकों के अनदेखी, हैंडपंप रिपेयरिंग में ग्रामवासियों को कोई सहयोग न करने, विधवा एवं निराश्रित महिला का कैटल सेट का भुगतान रोक दिए जाने, स्ट्रीट लाइट न होने के बाद भी फर्जी बिजली बिल का भुगतान, अतवल के खेत पर भूस्वामी के द्वारा डाली गई बंधी का फर्जी भुगतान प्रधान द्वारा किए जाने का आरोप लगाकर समस्याओं से संबंधित बिंदुओं की स्थलीय जांच हेतु आवेदन पत्र दिया था। इस शिकायती पत्रों पर कोई कार्यवाही न होने पर 1 महीने बाद शिकायतकर्ताओं द्वारा अनुस्मारक पत्र जिलाधिकारी कार्यालय में दिया गया। 3 महीने पश्चात जांच के लिए दो सदस्यीय समिति गठित हुई। इस जांच समिति में जिला उद्यान अधिकारी और अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग खंड 3 को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई। शिकायतकर्ताओं के द्वारा जिला उद्यान अधिकारी कार्यालय के दर्जनों चक्कर काटे गए। परंतु कोई भी जांच अभी तक नहीं हो पाई है। गौरतलब बात यह है कि शिकायतकर्ताओं द्वारा मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी इस प्रकरण की शिकायत की गई थी।परंतु इससे भी अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा।

26 जुलाई 2003 को दी गई शिकायत में 6 माह बीत जाने के बाद कार्यवाही ना होना अधिकारियों की गैर जिम्मेदाराना कारगुजारी का सूचक है।जबकि गांव में जांच अधिकारियों को सुविधा शुल्क पहुचाए जाने की बातों का दौर शुरू हो गया है।

जांच में विलंब होने से मनरेगा योजना में बदहाली का आलम

जांच समिति की संवेदन शून्यता ही ग्राम विकास में बाधक सिद्ध हो रही है। शिकायती पत्रों में आवश्यक कार्रवाई न होने से मनरेगा से संबंधित कार्य खुलेआम जेसीबी मशीनों द्वारा कराए जा रहे हैं। दिन और रात में जेसीबी गरज रही है पिछले दिनों द्वारकापुरी तालाब जो कि अमृत सरोवर योजना में चयनित है। तालाब में जेसीबी मशीन द्वारा खुदाई करने का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुआ था। मनरेगा कार्यो की स्थिति इतना बदहाल रूप ले रही है की जेसीबी द्वारा कार्य को अंजाम देकर फर्जी मजदूरों की मस्टररोल भरकर सरकारी धन का बंदरबांट पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय हो रहा है। फर्जी मजदूरों द्वारा धन निकासी में फर्जी बाड़े का आलम यह है कि गर्भवती महिला द्वारा प्रसव दिनांक में भी कार्य करना दर्शाकर फर्जी भुगतान हो जाता है। एनएमएमएस ऐप पर एक ही फोटो कई कार्य योजना में दर्ज हो जाती है। यहां टीबी के मरीज से भी मनरेगा कार्य करवाया जाता है। जिले की अधिकारियों का आदेश उदासीन रवैया ऐसे प्रकरण में मौन सहमति देता प्रतीत होता है।

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