छठें दिन श्रीमद् भागवत कथा में हुआ रूकमणि विवाह,स्रोता मंत्रमुग्ध होकर हुए भाव-विभोर
वीरेंद्र सिंह सेंगर
अजीतमल औरैया। पंचनद धाम क्षेत्र के गांव ततारपुर कलां में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में शनिवार को कथा व्यास राम कृष्ण बाजपेई जी महाराज द्वारा साप्ताहिक ज्ञान यज्ञ में रुक्मिणी विवाह और सुदामा चरित्र का अनुपम वर्णन किया।
बताते चलें कि कथा के दौरान श्री कृष्ण-सुदामा के मिलन की सजीव झांकी सजाई गई। इस दौरान श्रद्धालुओं ने झांकी पर गुलाब की पंखुडियां बरसाकर स्वागत किया। इसके बाद रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। आगे की कथा का वाचन करते हुए कहा की श्रीकृष्ण से प्रेम देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं।
रुक्मिणी जी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। रुक्मणी की भगवान के प्रति लगन, आस्था और उनकी इच्छा के चलते भगवान ने उनका वरण किया। कथा के समापन पर परिक्षित मोक्ष के ह्रदयग्राही एवं अनुकरणीय चित्रण किया गया।
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