नवरात्रि की आठवीं देवी महागौरी की उम्र मात्र आठ वर्ष बताई गई
कालपी (जालौन)जब मां की घोर तपस्या से भगवान शिव प्रश्न हुए तो उन्होंने माता को पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया !लम्बे समय तक तपस्या करने के कारण मां का रंग काला पड़ गया था तब भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगा के पवित्र जल से धोकर अत्यंत कांतिमय बना दिया ! जिस कारण इनका काला रंग गौरवर्ण हो गया इसके बाद माता पार्वती के इस स्वरूप कै महागौरी के नाम से जाना गया !
श्वेत वृषे समारूढा़ श्वेताम्बरधरा शुचि;!
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा !!
मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है महागौरी का ! देवी महागौरी का अत्यंत गौर वर्ण है !इनके वस्त्र और आभूषण आदि भी सफेद ही है !इनकी चार भुजाएं हैं! महागौरी का वाहन बैल है? देवी के दाहिने और के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है! बाएं ओर के ऊपर वाले हाथ में डमरू और नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है !इनका स्वभाव आति शांत है इनकी आयु 8 वर्ष की मानी हुई है!
आदि शक्ति देवी दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं! मां महागौरी का ध्यान स्मरण पूजन आराधना से दांपत्य सुख व्यापार धन और सुख समृद्धि बढ़ती है! मनुष्य को सदैव इनका ध्यान करना चाहिए उनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां की प्राप्त होती है! यह भक्तों के कष्ट जल्दी ही दूर कर देती हैं एवं उनकी उपासना से असंभव कर्य भी संभव हो जाते हैं! यह मनुष्य की वृत्तियों को सत्य की और प्रेरित करके असत्य का विनासस करती है !भक्तों के लिए यह देवी अन्नपूर्णा का स्वरूप है इसलिए अष्टमी के दिन कन्याओं के पूजन का विधान है यह धन वैभव अन्न धन और सुख शांति की अधिष्ठात्री देवी है!
मां महागौरी अमोघ फल दायनी है !मां की पूजा करने से भक्तों के कल्मष धुल जाते हैं साथ ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं! सच्चे मन और पूरी श्रद्दा से अगर महागौरी की पूजा अर्चना उपासना आराधना की जाये तो यह बेहद कल्याणकारी होता है ! मां की कृपा अपने भक्तों पर हमेशा सी बनी रहती है !और इनकी कृपा से ही भक्तों को अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं!
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