मजदूरी छोड़कर कोटेदार के चक्कर लगा रहा मजदूर फिर भी नहीं मिल रहा खाद्यान्न
कोंच(जालौन) सरकारें चाहे जिसकी भी हो लेकिन कोटेदारों का जलवा बुलन्द रहता है जिनके कारण पात्र लोग खाधान्न लेने के लिए कोटेदारों के घरों के चक्कर लगाते रहते हैं और कोटेदार अपनी मन मर्जी से खाधान्न वितरित करता है इन कोटेदारों को संरक्षण देने में सबसे बड़ा हाँथ पूर्ति निरीक्षक का होता है क्योंकि शिकायत के बाबजूद भी कार्यवाही न होना संरक्षण का जीता जागता सबूत है
मामला तहसील क्षेत्र के ग्राम बदउँआ निवासी कोटेदार उमाशंकर वर्मा का है जिसके यहां ग्राम बिरोरा निवासी राजा बाई पत्नी मूलचन्द्र व दुर्गा देवी पत्नी गोविंद सिंह के राशन कार्ड लगे हुए हैं और कोटेदार इन्हें खाद्यान्न के लिए बराबर चक्कर लगवा रहा है कार्ड धारकों का कहना है कि हम गरीब व मजदूर लोग हैं और हमें अपने ग्राम बिरोरा से करीब ढाई किलो मीटर दूर बदऊँआ खाधान्न के लिए जाना पड़ता है और कोटेदार नहीं मिलता है कार्ड धारकों का यह भी कहना है कि कोटेदार माह में सिर्फ दो दिन ही दुकान खोलता है और कार्ड धारकों से लड़ाई झगड़े पर आमादा हो जाता है जबकि हमारे परिवार का भरण पोषण मजदूरी से होता है जिसके लिए हमें कोंच आना पड़ता है हम अपनी मजदूरी छोड़कर कोटेदार के यहां चक्कर लगाते हैं फिर भी हमें खाधान्न नहीं मिलता है जबकि नियति तिथि एवं नियत समय से कोटेदार राशन सामग्री वितरित करे तो यह समस्या उत्पन्न न हो पीड़ितों ने एस डी एम /पूर्ति निरीक्षक से उक्त कोटेदार के बिरुद्ध समुचित कार्यवाही करते हुए खाधान्न दिलाये जाने की मांग की है अब देखना होगा कि उपजिलाधिकारी पीड़ितों को न्याय दिला पाते हैं या फिर पूर्ति निरीक्षक के ऊपर ही पूरा मामला छिड़कर इतिश्री कर लेते हैं।
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