प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताबों से लेकर ड्रेस तक में कमीशन का खेल शुरू

Jul 19, 2024 - 18:55
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प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताबों से लेकर ड्रेस तक में कमीशन का खेल शुरू

अमित गुप्ता 

कालपी जालौन 

कालपी/जालौन मोटी फीस और किताबों व स्कूल की ड्रेस के नाम पर कथित कमीशन खोरी से अभिवावकों की जेब में डाका डालने की सहालग सी आ गई है। उच्च शिक्षा की तो बात ही निराली है। पढ़ाई की शुरूआत करने वाले बच्चें पर इतना खर्च हो रहा है कि घर के दूसरे खर्च एक तरफ और बच्चे की एक महीने की फीस एवं कॉपी किताबों की कीमत एक तरफ, यह बात किसी से छिपी नहीं है। इसके बावजूद शिक्षा विभाग और सरकार की खामोशी समझ से परे है। एक तरफ शिक्षा को हर किसी तक पहुंचाने के लिय शिक्षा के अधिकार जैसे कानून लागू हो रहे है और दूसरी तरफ शुरूआत की सामान्य पढ़ाई भी पहुंच से बाहर हो रही है। इन दिनों शिक्षण संस्थानों में दाखिला का काम जोरों पर चल रहा है। ऐसे में दाखिले की फीस, किताबें, कॉपी, ड्रेस और बस्ते के खर्च को मिलाकर हिसाब, किताब की जो लिस्ट अभिभावकों को थमायी जा रही है। उसे देखकर तो

मध्यम वर्गीय अभिभावकों को दिन में तारे नजर आ रहे है। लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने की तमन्ना उसे चैन नहीं लेने देती। नए शिक्षण सत्र में तो कई स्कूलों ने फीस में अच्छी खासी बढ़ोत्तरी कर दी है। ऐसे में अभिभावकों पर बोझ बढ़ना भी तय है। फिर मंहगाई ने तो पहले ही मध्यम वर्गीय परिवारों का जीना मुहाल किया

हुआ है। ऐसे में तो शिक्षा के बढ़ते खर्च ने तो हर किसी के होश उड़ा दिए है। इस संबंध में अभिभावक संजय गुप्ता का कहना है कि सरकार नई शिक्षा नीति तो बनाती है लेकिन इसमें सबसे महत्वपूर्ण बिंदु छोड़ देती हैं यदि सरकार प्रत्येक विद्यालयों के लिये एक ही प्रकार की पाठ्य पुस्तकों का नियम बना दे तो हर वर्ष करोड़ों रुपयों की बचत हो सकेगी और अभिभावकों का खर्च भी बच सकेगा। प्रमोद गुप्ता का कहना था कि प्राइवेट शिक्षण संस्थानें अपने तरीके से मोटी फीस वसूल करती है इस पर सरकार को ध्यान देना चाहिये। अभिषेक गुप्ता का कहना था कि यदि समान शिक्षा नीति प्रदेश में लागू हो जाये तो इसका लाभ अभिभावकों को

मिलेगा फिर हर जगह से वह किताबों की खरीद कर सकेंगे। अरुण सिंह सोलंकी का कहना था कि आज महंगाई के दौर में मध्यम वर्गीय परिवारों को अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल होता जा रहा है यदि समय रहते इस पर गंभीरता से सरकार ने ध्यान न दिया तो उसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

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