मां वनखंडी शक्तिपीठ का पौराणिक परिचय
व्यूरो के के श्रीवास्तव जालौन
कालपी जालौन वनखंडी शक्तिपीठ कल प्रिया क्षेत्र मे स्थित है कालपी नगर अथवा कालप्रिय का वर्णन साम्ब उप पुराण , वराह पुराण , स्कन्ध पुराण , ब्रह्म पुराण आदि मे भरा पड़ा है वर्तमान मे इसे कालपी कहते हैं इस विशिष्ट तीर्थ का क्षेत्र 84 कोश लम्बा चौड़ा है यह क्षेत्र महिषासुर की राजधानी था जिसका क्षेत्र पचनद से आगे तक फैला था देवी भागवत महा पुराण मे वर्णित है कि रम्भ और करम्भ ने पचनद के जल मे व वट वृक्ष के नीचे अग्नि देव का आराधना किया अग्निदेव की कृपा से महिषासुर जैसा पराक्रमी अजेय पुत्र प्राप्त हुआ जिसने ब्रह्मा जी से यह वरदान प्राप्त किया कि नारी स्वरूपा आदि शक्ति के द्वारा ही मेरा वध हो महिषासुर के अत्याचार से आदिशक्ति माँ हजारों सूर्य के तेज को लेकर प्रगट हुई और महिषासुर के वध के पश्चात वनखंड प्रांत के अंतर्गत मणिद्वीप क्षेत्र अथवा विष्णुकाक्षि नागरी के मध्य जिस वनखंड क्षेत्र मे विराजमान हुई वह स्थान वनखंडी शक्तिपीठ कहलाया
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