गरीब छात्रों के रहने के लिए बनाए गये छात्रावास में बन गयीं दुकानें गोदाम
विद्यालय प्रबन्ध समिति ने छात्रों के अधिकार को किस कानून के तहत छीना
रिपोर्टर - अनुराग पंडित
कालपी(जालौन) शिक्षा के दानियों ने विद्यालय बनवाए और अध्यन करने बाहर से आये छात्रों को रहने के लिये छात्रावास बनवाए विद्यालयों के सही संचालन के उद्देश्य से समितियां बनाई और उम्मीद की देश के लोग शिक्षित होंगे देश का विकास होगा वहीं दूर दराज गावों से शिक्षा लेने आये छात्रों के लिये मुफ्त में छात्रावास दिया जिसमें रहकर वह शिक्षा ग्रहण कर सकें !
पर वो दानी धर्मी तो दुनिया छोड़ गये उनके स्थान पर समितियों के मुखिया बने लोगों ने उन सम्पतियों को अपनी निजी सम्पति मानकर मनमानी करनी शुरू कर दी !
ऐसी ही एक बात आपके सामने रखते है नगर के प्रमुख विद्यालय माधवराव सिंधिया व्यास इण्टर कालेज(MSV)की जिसे माधवराव सिंधिया और सुदामा तिवारी ने धन देकर उसकी नीव रखी थी आज उसका संचालन श्री व्यास क्षेत्र शिक्षा समिति के द्वारा संचालित किया जा रहा है उक्त विद्यालय नगर क्षेत्र का सबसे बडा़ इण्टर कालेज है !इसी से सम्बन्ध व्यास छात्रावास भी है जिसमें गरीब छात्रों को रहकर पढा़ई करने के लिये कई कमरे हैं एक बडा़ सा आंगन है ! यह छात्रावास नगर के मुख्य रोड पर डाकखाने के सामने है जहां तमाम छात्र रहते थे ! पर आज के हालात कैसे हैं? वह बताते हैं पहले इस छात्रावास के बाहरी हिस्से को दुकानों का रूप दिया और पगड़ी के रूप दें भारी रकम लेकर किराए पर दे दिया इसके बाद प्रबन्ध समिति का लालच बडा़ और छात्रावास के अन्दर के कमरों से एख एक कर छात्रों को निकालकर गोदामों का रूप देकर उन्हें भी किराए पर दिया जाने लगा वर्तमान में नाम तो है व्यास छात्रावास पर एक भी छात्र वहां वास नहीं कर रहा है सम्पूर्ण व्यास छात्रावास को भारी रकम पगड़ी के रूप में लेकर गिरवीं रख दिया है जिन्हें दुकानदारों को किराए पर दे रखा है!और वो गरीब छात्र जिनके लिए ये छात्रावास बनवाया गया था वह नगर में किराए का कमरा लेकर रह रहे हैं और शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं!
भले ही शायद किसी कानून के तहत इन समितियों को पूरी छूट हो कि विद्यालयों को तुड़वाकर दुकानें बनालो चाहें छात्रावास किराए पर उठा दो !पर छात्र हित में यह गलत है क्या जिन शिक्षा के दानियों ने जब ये मन्दिर बनवाए होंगे तब क्या उन्होंने सोचा होगा कि हम जिस उद्देश्य से यह पुण्य कार्य कर रहे हैं आगे चलकर इन्हीं सम्पत्तियों को शिक्षा की जगह बाजार का रूप दे दिया जाएगा और जिम्मेदार शिक्षा के विकास से ज्यादा स्वयं का विकास की सोच से इन्हें दूसरा रूप दे देंगे ! भले ही वो लोग इस दुनियां में न हों पर उनकी आत्मा आज अवश्य दुखी होगी जब देखेगी कि गरीब छात्रों को रहने पढ़ने के लिए दी गई सम्पति का इस्तेमाल बाजार के रूप में धन अर्जित करने का जरिया बना दिया गया !
पत्र की खबर पढ़कर उम्मीद है कि जनपद की ईमानदार जिलाधिकारी महोदया इस विषय को संज्ञान में लेकर कम से कम जांच तो करा ही देंगी! और इन शिक्षा के स्थानों को कमाई का साधन बना देने वालों को इसका जबाव भी देना होगा इतना विश्वास है
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