नगर में बन्दरों का साम्राज चरम सीमा पर

ज़िला संवाददाता
अमित गुप्ता
कालपी (जालौन) आपने पढा़ होगा य सुना तो अवश्य होगा किशकिंधा पर्वत पर वानरों का साम्राज था वहां राजा से लेकर मंत्री प्रजा सब बानर ही थे ! पर ऐसा कहीं पढ़ने सुनने को मिला कि किसी नगर में बन्दरों का साम्राज्य है नहीं न तो आज हम आपको ऐसे एक नगर से परचित कराते हैं जहां बन्दरों की ही तू ती बोलती है!
बात करते है ऐतिहासिक पौराणिक धार्मिक महत्व के नगर कालपी धाम की उत्तर प्रदेश के जनपद जालौन के कस्बा कालपी को इसे बुन्देलखण्ड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है! इस नगर की आबादी लगभग एक लाख हैं! 25 बार्डों में विभाजित इस नगर का कोई ऐसा बार्ड नहीं जहां पचास से सौ बन्दर न हों ! इस नगर की हर गली हर छत हर जगह बन्दरों का झुंड स्वछन्द रूप से विचरण करता दिखता हैं! मजाल है जो बगैर इनकी इजाजत के रास्ते से निकल जाए। घरों की छत पर इनका पूरी तरह कब्जा है आप कपड़े नहीं सुखा सकते किसी प्रकार की खाद्य वस्तु नहीं रख सकते और हां दरवाजे हमेशा बन्द रखने पड़ते हैं अन्यथा ये बेखौप घर में घुसकर आपकी रसोई से आपके फ्रिज से जो भी मिलेगा लेकर भागेंगे नहीं आपको दिखा दिखा कर खायेंगे !वहीं अगर कुछ नहीं मिला तो आपकी चप्पल जूता कपड़े आदि लेकर आपकी छत पर बैठकर आराम से दिखा दिखा कर नष्ट करेंगे!
यदि बात बाजार की करें तो वहां भी इनका गुंडा टैक्स चलता है। फल सब्जी य अन्य खाद्य सामग्री की दुकानें य ठिलिया हो ये जबरन अपना टैक्स तो बसूल ही लेते हैं और जो भी मिला जितना मिला लेकर भाग लेते हैं!और हां आपने बिरोध किया तो आप पर वार करने से नहीं चूकते शायद ही कोई दिन ऐसा जाता हो जिस दिन एक न एक व्यक्ति इनके काटने से घायल न होता हो !अगर कोई इसका प्रमाण देखना चाहता हो तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कालपी का रजिस्टर उठा कर देख सकता है ! कभी कभी तो इनका हमला जान भी ले लेता है एक बार पुराने बस स्टैंड पर फौजी मार्केट मे एक महिला की जान भी जा चुकी है !वहीं इनके हमले से बचने के लिए लोग छतों तक से कूद कर घायल हो जाते है ऐसे घायलों की संख्या बता पाना मुमकिन नहीं है!
नगर के तमाम लोगों ने इनके साम्राज्य से मुक्ति पाने की लिखित और मौखिक रूप से तथा मीडिया के मायम से कई बार गुहार लगाई और लगाते आ रहे है।! पर जिम्मेदारों पर असर नहीं हुआ! हां एक बार जरूर सुनने में आया था कि बन्दरों को पकड़ने के लिए नगर पालिका परिषद ने पहल की टेंडर भी हुआ पर पता नहीं क्या हुआ कि यह सब हवा हवाई साबित हुआ!
पर शासन प्रशासन का जन हित में इस ओर पुन: ध्यान आकर्षित करवाते हैं कि कस्बा कालपी के वासिंदों को बन्दरों के आतंक से राहत दिलाने की पहल करें तो नगर वासियों नगर के छोटे मोटे फल सब्जी विक्रेताओं एव नोनिहाल छात्रों को जो बगैर गार्जिएन्स के स्कूल नहीं जा पाते उन्हें भारी राहत मिलेगी!
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