आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर खोज रहीं क्षय रोगी
रायबरेली, 18 अक्टूबर साल का तीसरा और अंतिम दस्तक अभियान सोमवार से शुरू हुआ जो कि 31 अक्टूबर तक चलेगा जिसके तहत आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने घर-घर जाकर संभावित क्षय(टीबी) रोगियों को खोजना शुरू कर दिया है- | इसके साथ ही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आईएलआई, बुखार, काला जार, फाइलेरिया के रोगियों और कुपोषित बच्चों की पहचान कर लिस्टिंग करेंगी और सीएचसी को उपलब्ध कराएंगी |
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनुपम सिंह बताते हैं कि इससे पहले अप्रैल और जुलाई माह में आयोजित हुए दस्तक अभियान में कुल 337 संभावित क्षय रोगी मिले जिनकी बलगम और एक्स रे की जांच करने पर 49 लोगों मे क्षय रोग की पुष्टि हुई |
जिला क्षय रोग अधिकारी का कहना है कि प्रधानमंत्री ने साल् 2025 तक देश को क्षय रोग से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है | यह तभी संभव हो पाएगा जब ज्यादा से ज्यादा संभावित क्षय रोगियों की स्क्रीनिंग हो और उनका इलाज शुरू किया जाए | लोगों को टीबी के लक्षणों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी हो जिससे कि वह घर, पड़ोस में अगर किसी को भी इसके लक्षण दिखाई दें तो वह उसे टीबी की जांच कराने की सलाह दें |
उन्होंने कहा कि यह सभी को पता होना चाहिए कि सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर टीबी की जांच और इलाज की सुविधा उपलब्ध है तथा इसके साथ ही टीबी रोगी को इलाज के दौरान निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये की राशि उनके खाते में भेजी जाती हैं |इसके अलावा राज्यपाल के आह्वान पर जनपद के गणमान्य व्यक्ति, शैक्षणिक, चिकित्सा एवं औद्योगिक संस्थान क्षय रोगियों को गोद लेकर उन्हें पोषण सामग्री तो उपलब्ध करा ही रहे हैं साथ में एक प्रकार का भावनात्मक सहयोग भी दे रहे हैं |
यह हैं टीबी के लक्षण –
दो हफ्ते से ज्यादा खांसी और बुखार |
बलगम के साथ खून आना |
रात में पसीना आना |
लगातार वजन कम होना |
भूख न लगना |
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