अस्तित्व खोते पुराने कुऐ और तालाब नहीं हो पा रहा जीर्णोद्धार
अमित गुप्ता
संवाददाता
कालपी जालौन प्राचीनकाल से ही पनघटों, सरोबरों तथा तालाबों को बड़ा ही महत्व दिया जाता रहा हैं। वर्तमान संस्कृति पर नजर डाली जाये, तो कुओं की पूजा अर्चना का स्थान हैंडपंपों ने ले लिया हैं। देश मे पुराने तथा प्राकृतिक पनघटों की हालत बद से बत्तर हो रही हैं।
धार्मिक व पौराणिक नगर कालपी में पुराने पनघट अपनी बदहाली की दास्तान बयां कर रहें हैं। एक समय ऐसा भी था कि इन पनघटों पर कतारे लगा करती थीं। सुबह से ही लोगो का पानी भरने के लिए जमावड़ा लग जाता था। जैसे जैसे समय बीतता गया वैसे वैसे इन कुंओं के पनघटों की रौनक खत्म होती चली गई। वर्तमान में इन पनघटों पर घास फूस के अलावा कुछ भी नहीं रहा। वर्षो से इन कुओं से पानी न निकालने के कारण पानी भी खराब हो गया हैं। नगर में लगभग 100से 125 पाताली कुँए थे। जो आज अपनी बर्बादी की दास्तान बया कर रहें हैं। नगर में तमाम कुओं को आम जनता ने पाट कर नष्ट तक कर दिया हैं। कुछ पर अवैध कब्जा भी किया जा रहा हैं। अगर सरकारें इन प्राकृतिक जल स्त्रोतों के प्रति तनिक भी संजीदा होती तो वर्तमान में पानी की आपूर्ति की समस्या ही उत्पन्न न होती। नगर के दीपू तिवारी,कल्लू शुक्ला रोहणी शर्मा,सरमन रायक्वार, गिरीष बाजपेई,पप्पन गुप्ता,सुरेश वर्मा आदि लोगों ने बताया कि जब से पुराने कुओं, तालाबो का नष्ट होना शुरु हुआ हैं तब से पानी का जलस्तर भी घटा हैं।
वरिष्ठ भाजपा नेता अशोक बाजपेई ने नगर पालिका परिषद के जिम्मेदारों से मांंग करते हुए कहा कि सर्व प्रथम नगर के ऐसे कुओं को चिन्हित किया जाये जिन पर अवैध कब्जा किया जा रहा हैं, तदुपरान्त उन कुओं की सफाई कराकर उनका जीर्णोद्धार किया जाये। नगर के जितने भी कुँए हैं आवश्यकता अनुसार उनको पुनः चालू कराया जाये।
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