गणपति बप्पा मोरया के नारों के साथ पंडालों एवं सनातनी घरों में विराजे गजानन
कोंच(जालौन) सनातन धर्म मे गणेश चतुर्थी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है और यह त्यौहार भारत में कई जगह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें महाराष्ट्र राज्य में गणेश उत्सव एक विशेष त्यौहार के रूप में मनाया जाता है इसी सनातन परंपरा का पालन करते हुए भद्रपद शुक्ल चतुर्थी को नगर एवं क्षेत्र में गणपति वप्पा मोरया नाद के साथ गणेश की प्रतिमाओं को घरों एवं पंडालों में पूजन अर्चन कर विराजमान किया गया पुराणों के अनुसार इसी दिन श्री गणेश जी का जन्म हुआ था इसी कारण आज के ही दिन गणेश चतुर्थी पर गणेश जी विराजमान किये जाते है विराजमान के दौरान एक कोरा कलश लेकर उसमें जल भरकर उसे कोरे कपड़े से बांधा जाता है और श्री गणेश जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाकर बिधि विधान से पूजन अर्चन किया जाता है और श्री गणेश जी को मोदक पसंद होने के कारण उन्हें मोदक का भोग लगाया जाता है वहीं गणेश जी की पूजा प्रातः एवं सायं वेला में करते हुए पूजा के पश्चात दृष्टि नीचे रखते हुए चंद्रमा को अर्ग दिया जाता है मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की मानसिक परेशानियां दूर होते हुए जीबन में सकारात्मकता आती है और भगवान गणेश आर्थिक तंगी को दूर करते हुए व्यापार में तरक्की नोकरी आदि में आने वाली बाधाओं को दूर करते है।
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