श्री सिद्ध शक्ति पीठ बैरागढ़ धाम पर श्रद्धालुओं की लग रही अपार भीड़

Apr 2, 2025 - 08:23
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श्री सिद्ध शक्ति पीठ बैरागढ़ धाम पर श्रद्धालुओं की लग रही अपार भीड़

 के के श्रीवास्तव बुंदेलखंड व्यूरो जालौन

एट जालौन. चेत्र नवरात्र के त्यौहार पर नौ दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। आइए हम आपको उस ऐतिहासिक प्राचीन मन्दिर की ओर ले चलते हैं जो आखिरी हिन्दूराजा पृथ्वीराज चौहान और बुन्देलखंड के वीर योद्धा आल्हा-ऊदल के युद्ध का आज के समय में भी गवाह बना हुआ है /यह मन्दिर उत्तर प्रदेश मे जनपद जालौन के बैरागढ़ धाम में स्थित है जो शक्ति पीठ श्री शारदा देवी मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है। यहां जनपद जालौन से ही नहीं अपितु पूरे दूर-दराज के क्षेत्रों से श्रद्धांलु श्रद्धा भाव से दर्शन करने के लिए आते हैं यहां पर नवरात्र ही नहीं बल्कि पूरे वर्ष भर श्रद्धांलु आते हैं। नवरात्र पर यहां भव्य आयोजन किए जाते हैं। उक्त श्री शारदा देवी का मन्दिर यूपी के जिला जालौन के मुख्यालय उरई से 30 किलोमीटर व नगर पंचायत एट से लगभग 07 किलो मीटर दूरी पर स्थित श्री बैरागढ़ धाम में बना हुआ है। यहां पर ज्ञान की देवी सरस्वती मां श्री शारदा के रूप में विराजमान हैं। मांता श्री शारदा देवी की अष्टभुजी मूर्ति लाल पत्थर से निर्मित है। मां श्री शारदा शक्ति पीठ बैरागढ़ मन्दिर की स्थापना चन्देलकालीन राजा टोडलमल द्वारा ग्यारहवी सदी में कराई गई थी। जबकि किवदंतियों के अनुसार यह मन्दिर आदिकाल में निर्मित कराया गया था और मां श्री शारदा की मूर्ति मन्दिर के पीछे बने एक सुंदर एवं भव्य कुंड से निकली थी। प्राचीन किवदंतियों के अनुसार कुंड से मां श्री शारदा प्रकट हुई थी इसीलिए इस स्थान क़ो श्री शारदा देवी सिद्ध पीठ कहा जाता है। वर्तमान में यह मन्दिर खेत में स्थित है। दिन में तीन रूपों में माता क़ी प्रतिमा दिखाई देती है माता क़ी प्रतिमा और मां श्री शारदा शक्ति पीठ के बारे में दर्शन करने वाले लोगों के अनुसार मूर्ति तीन रूपों में दिखाई देती है। सुबह के समय मूर्ति कन्या के रूप में नजर आती है तो दोपहर के समय युवती के रूप में और शाम के समय मां के रूप में मूर्ति दिखाई देती है। जिनके दर्शनों के लिये पूरे भारत वर्ष व विभिन्न स्थलों से श्रद्धालू दर्शन करने आते है। पृथ्वीराज और आल्हा-ऊदल के युद्ध की गवाह है मां श्री शारदा शक्तिपीठ बैरागढ़ धाम है बताते चलें इसी शक्तिपीठ स्थल पर पृथ्वीराज और आल्हा के युद्ध की साक्षी गाथा है। पृथ्वीराज ने बुन्देलखंड को जीतने के उद्देश्य से ग्यारहवी सदी मे बुन्देलखंड के तत्कालीन चन्देल राजा परमर्दिदेव (राजा परमाल) पर चढाई की थी। उस समय चन्देलों की राजधानी महोबा हुआ करती थी । आल्हा-उदल एवं राजा परमाल के मंत्री के साथ वीर योद्धा भी थे। बैरागढ़ के युद्ध मे आल्हा-उदल ने पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में बुरी तरह परास्त कर दिया था। बताया गया कि आल्हा और उदल श्री मां शारदा के अनन्य भक्त थे। जिसमें आल्हा को मां शारदा का वरदान प्राप्त था कि उन्हें युद्ध में कोई नहीं हरा पायेगा। उदल की मौत के बाद आल्हा ने प्रतिशोध लेते हुये अकेले ही पृथ्वीराज से युद्ध किया और विजय प्राप्त की उसके बाद आल्हा ने विजय स्वरूपा मां श्री शारदा के चरणों में सांग गाढ़ दी और युद्ध से ही तत्काल बैराग ले लिया जो आज भी मन्दिर के मठ के ऊपर गढ़ी है। यह सांग करीव 30 फिट से भी ऊंची है और यह सांग जमीन में इतनी ही अधिक गढ़ी है। मन्दिर में आल्हा द्वारा गाढी गई सांग इसकी प्राचीनता दर्शाती है। जब आल्हा ने युद्ध से बैराग लिया तभी से यहां का नाम बैरागढ़ धाम पड़ गया।

श्री मां शारदा के पूरे देश में सिर्फ दो ही मन्दिर है और देश में अपितु मन्दिर दो ही स्थानों पर है। जिसमें से एक जनपद जालौन के श्री बैरागढ़ धाम में और दूसरा मध्य प्रदेश के सतना जनपद के मैहर में है। मन्दिर की प्रचीनता और सिद्ध पीठ होने के कारण श्री मां शारदा के दर्शन करने के लिए दूर दराज से श्रद्धालू आते है। मन्दिर के पुजारी श्री श्याम जी महाराज का कहना है कि मां शारदा के दर्शन करने प्राचीन समय में आल्हा उदाल आते थे। उन्होने बताया कि श्रद्धांलु अपनी मनोकामनाओ के लिए चैत्रनवरात्रि और शारदीय नवरात्रि पर मन्नत एवं दर्शन करने आते है और जहाँ पर विशाल मेला लगता है जो पूरे एक माह चलता है। मन्दिर के पुजारी के मुताविक मन्दिर के पीछे एक कुंड है। इस कुंड में नहाने से सभी प्रकार के चरम रोग ख़त्म हो जाते है।

पुनः बताते चले कि बैराग लेने के बाद पड़ा बैरागढ़ नाम मन्दिर के पुजारीश्री श्याम महाराज के अनुसार यहां पर आल्हा-उदल का पृथ्वीराज चौहान के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें उदल की मौत के बाद आल्हा ने प्रतिशोध लेते हुए अकेले पृथ्वीराज से युद्ध किया और विजय प्राप्त की थी। उसके बाद आल्हा ने विजय स्वरूप श्री मां शारदा के चरणों मे सांग गाढ़ दी और युद्ध से बैराग ले लिया। आल्हा के युद्ध से बैराग लेने के बाद इस स्थान का नाम बैरागढ़ धाम पड़ गया। तभी से यहां पर श्री मां शारदा देवी की पूजा होती चली आ रही है। बताते चलें चैत्र नवरात्रि एवं मेला के दृष्टिगत पुलिस अधीक्षक डॉक्टर दुर्गेश कुमार जालौन के कुशल निर्देशन मे थाना प्रभारी निरीक्षक लोकेंद्र कुमार के सिंह थाना एट के नेतृत्व मे पूजा अर्चना एवं श्रद्धालुओं क़ी भीड़ व सुरक्षा सुविधा से संबंधित प्रशासन द्वारा विशेष सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं इस मौके पर इंस्पेक्टर महेश चौधरी, उप निरीक्षक हाकिम सिंह उप निरीक्षक विश्वनाथ सिंह एवं कॉ सत्य प्रकाश, कॉ सचलाल, कॉ सुवनीश सिंह कॉ राहुल कुमार आदि पुलिस परिवार मुस्तेद दिखे

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