वाहन न होने के बावजूद भी वाहन चालक को दिए गए लाखों रुपए

संवाददाता
अमित गुप्ता
कालपी(जालौन)। स्थानीय नगर में स्थित एक सरकारी कार्यालय में लंबे अरसे से सरकारी वाहन न होने के बावजूद भी संविदा वाहन चालक की नियुक्ति करके सालाना लाखों रुपए वेतन के रूप में सरकारी धन अनावश्यक भुगतान होने का मामला सुर्खियों में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंडलीय ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र कालपी में दो दशक पहले फील्ड के कार्यों के लिए सरकारी वाहन उपलब्ध रहता था, इस वजह से विभाग के द्वारा संविदा वाहन चालक के तौर पर अरविंद शुक्ला को नियुक्त कर दिया गया था। विभागीय सूत्रों के मुताबिक 22 साल पुराना वाहन होने के कारण सरकारी वाहन को घोषित करके स्क्रेपिंग कंपनी को नष्ट करने के लिए शाप दिया गया था। सरकारी वाहन न होने के कारण संविदा वाहन चालक का स्थानांतरण मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्रवण प्रकाश के द्वारा लखनऊ के लिए कर दिया गया था तथा 13 अप्रैल 2023 को कार्य मुक्त करते संविदा वाहन चालक अरविंद शुक्ला को मुख्यालय लखनऊ के लिए रिलीज भी कर दिया गया है। लेकिन माननीय न्यायालय का आदेश कर वाहन चालक ने अपनी तैनाती फिर से 23.9.2023 को मंडली ग्रामोद्योग प्रशिक्षण केंद्र कालपी में वाहन चालक के पद पर करा लिया। केंद्र के प्राचार्य शिशुपाल सिंह गोयल ने बताया कि हमारे कार्यालय में कोई सरकारी वाहन भी नहीं है जिसे संविदा चालक चला सके। संविदा वाहन चालक को प्रत्येक महीने 15 हजार रुपए की सैलरी दी जाती है। इस प्रकार सालाना एक लाख 80 हजार रुपये का खर्च पड़ता है। इस दिशा में विभागीय अधिकारियों को भी अवगत करा दिया जा चुका है।
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