धन की कामना का पर्व है धनतेरस

Nov 10, 2023 - 19:24
 0  49
धन की कामना का पर्व है धनतेरस

संवाददाता

अमित गुप्ता

कालपी जालौन पांच दिवसीय दीपावली पर्व पर धनतेरस का पर्व भी महत्वपूर्ण माना जाता है शास्त्रों के अनुसार इस दिन सोना चांदी आदि धातुओं को घर लाने से मां लक्ष्मी प्रशन्न होती हैं!घर में सुख शान्ति और समृद्धि आती है और अच्छा भाग्य भी घर लाते हैं!इनके खरीदने से नकारात्मक ऊर्जा भी घर से दूर होती है!

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन ही आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जनक भगवान धन्वंतरि हाथों मे अमृत कलश लिए हुए समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे !

 प्रियजनों मान्यता है कि सोना खरीदने से बुरी शक्तियां और नकारात्मक ऊर्जा घर से दूर होती है !कई परिवार इस दिन सोना चांदी खरीद कर अपनी सैकड़ो साल पुरानी परंपरा का पालन करते हुए इस दिन दिव्यता एवं धन की देवी लक्ष्मी देवी की पूजा करते हैं! धनतेरस धन की कामना का पर्व है इस दृष्टि से यह अर्थव्यवस्था का पर्व है!वहीं माना जाता है कि इस दिन खरीदी गई चीजों में कई गुना वृद्धि हो जाती है !शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन कुछ उपाय करने से घर में धन-धान्य के भंडार भर जाते हैं और मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है!इसी कामना से लगभग हर हिन्दू परिवार धनतेरस के पावन पर्व पर कुछ न कुछ अवश्य खरीदता है!

 यहां यह भी माना जाता है कि धनतेरस आयुर्वेद का दिन भी है! क्योंकि जड़ी बूटियां भी धन है जड़ी बूटियों और पेड़ पौधे भी धन है !ऐसा कहते हैं कि धनतेरस के दिन ही मानवता को अमृत दिया गया था! भारतीय संस्कृति मेंधर्म अर्थ काम और मोक्ष जीवन के उद्देश्य रहे हैं! यहां इन्हें प्राप्त करने के लिए हमेशा से प्रयास होते रहते हैं! धनतेरस पर धन के साथ-साथ धर्म को भी यहां महत्व दिया गया है और दोनों के बीच समन्वय स्थापित किए जाने की आवश्यकता भी होती है! लेकिन जब उनके समन्वय के प्रयास कमजोर हुए हैं तब तब समाज में एक असंतुलन एवं अराजकता का माहौल बना है शास्त्रों में कहा गया है कि धन की सार्थकता तभी है जब व्यक्ति का जीवन सद्भावना से युक्त हो!

लक्ष्मी जी का स्वरूप रघुनात्मक है उनका वास तन मन और धन तीनों में है पांच प्रकार के सुख कहे गए हैं तन मन धन पत्नी और संतान देवी भगवती कमला यानी लक्ष्मी जी के आठ रूप कहे गए हैं आद्य लक्ष्मी या महालक्ष्मी धन लक्ष्मी, धान्य लक्ष्मी ,गजलक्ष्मी, सनातना लक्ष्मी ,वीरा लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी ,विद्या लक्ष्मी इन आठौं स्वरूपों को मिलाकर महालक्ष्मी का पर्व बना है दिवाली! दिवाली अर्थात दीप पर्व जहां इन ऑठौं स्वरूपों का प्रकाश हो वहां दिवाली निश्चित रूप से होती है!

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow