महिलाओं का यौन उत्पीड़न से संरक्षण, जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न
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जिला संवाददाता कृष्णकांत (के 0 के ) श्रीवास्तव जालौन
उरई जालौन माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली द्वारा Civil Appeal No. 2482 of 2014, titled Aureliano Fernandes Vs. State of Goa and Ors. में पारित आदेश के अनुक्रम में माननीय उ0प्र0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार माननीय जनपद न्यायाधीश श्री लल्लू सिंह के कुशल मार्गदर्शन में जनपद जालौन के कलैक्ट्रेट सभागार में कार्यरत समस्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारीगण को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संरक्षण के सम्बन्ध में ‘‘PoSH अधिनियम 2013‘‘ से संबंधित जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम जिला कलेक्ट्रेट सभागार, जालौन स्थान उरई में सम्पन्न हुआ। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागी महिला कर्मचारीगण को प्रशिक्षक/रिसोर्स-पर्सन द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपर जिला जज/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री महेन्द्र कुमार रावत ने कहा कि '‘PoSH अधिनियम 2013‘‘ कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करने और यौन उत्पीड़न की शिकायतों की रोकथाम और निवारण और उससे जुड़े या उसके आनुषंगिक मामलों के लिए एक अधिनियम है। PoSH एक्ट के तहत देश में हर संस्था या कंपनी को 10 सदस्यों की एक कमेटी बनाने की बाध्यता है। यह कमेटी उस जगह या कंपनी में काम कर रहीं महिलाओं की शारीरिक और यौन उत्पीड़न जैसी समस्याओं को सुनेगी। यदि इस अधिनियम के तहत शिकायतकर्ता द्वारा की गयी शिकायत की जांच होने के उपरान्त झूठी पायी जाती है, तो ऐसी स्थिति में शिकायकर्ता के विरुद्ध विधिक कार्यवाही अमल में लायी जा सकती है।
अपर सिविल जज सी0डि0 श्री अर्पित सिंह ने बताया कि PoSH अधिनियम यौन उत्पीड़न को परिभाषित करता है जिसमें शारीरिक सम्पर्क और यौन प्रस्ताव, यौन अनुग्रह के लिये मांग या अनुरोध अश्लील टिप्पणी करना, अश्लील चित्र दिखाना तथा किसी अन्य वांछित शारीरिक, मौखिक या गैर मौखिक व्यवहार जैसे अवांछित कार्य शामिल हैं।
प्रबन्धक सखी वन स्टॉप सेन्टर श्रीमती अन्जना यादव द्वारा कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न क्या होता है के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुये बताया कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न कोई भी अवांछित यौन परिभाषित व्यवहार होता है जिसका उद्देश्य अथवा प्रभाव किसी व्यक्ति विशेष के कार्य निष्पादन में अतार्किक हस्तक्षेप अथवा एक भयावह, शत्रुतापूर्ण, अपमानजनक और घिनौना कार्य माहौल उत्पन्न करना है। उन्होंने महिला उत्पीड़न के लिए मौजूदा प्रावधान के तहत भारतीय दण्ड संहिता धारा 354 के तहत छेड़छाड़ मामले में दोषी पाये जाने पर अधिकतम पांच साल तथा कम से कम एक साल की सजा का प्रावधान किया गया है तथा इसे गैर जमानतीय अपराध बनाया गया है ।
इस कार्यक्रम में प्रेस वर्कर श्रीमती प्रवीणा, परामर्शदाता श्रीमती रागिनी, स्टाफ नर्स श्रीमती ज्योति, श्रीमती रचना, संरक्षण अधिकारी श्रीमती जूली, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण जालौन के कनिष्ठ लिपिक श्री शुभम् शुक्ला, अस्सिटेंट लईगड एड डिफेंस काउंसिल अभिषेक पाठक सहित जिला कलैक्ट्रेट की समस्त तृतीय एवं चतुर्थ महिला कर्मचारीगण उपस्थित रहे।
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