भगवान श्रीकृष्ण ने सिखाया मित्र से बढ़कर कोई धर्म नहीं-कथा व्यास

कोंच (जालौन) नगर के जुझारपुरा रोड स्थित ठाकुर बाबा स्थान पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कथा व्यास पं. सर्वेश दीक्षित महाराज वृंदावन धाम ने श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन शुक्रवार को कथा व्यास ने सुदामा चरित्र का वर्णन कर श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। एक गुरु के शिष्य रहे भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान की कृपा हर भक्त को समान रूप से मिलती है। भगवान राजा और रंक में कोई भेद नहीं करते हैं। भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे, लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण था। कथावाचक ने भगवान के प्रति भक्ति में ऐसा ही समर्पण लाने की बात कही। उन्होंने गृहस्थ धर्म का पालन करने की सीख देते हुए कहा कि गृहस्थ में रह कर अपने कर्तव्यों की पालन करने के साथ ही भगवत भक्ति करनी चाहिए। कहा कि जब भी भक्त पर किसी प्रकार का संकट आता है और भक्त निश्छल भाव से भगवान को पुकारता है, भगवान भक्त के सभी दुख को दूर कर देते हैं। भगवान भाव के भूखे होते हैं। सुदामा के संकट को भी भगवान कृष्ण ने दूर किया था। कथा के समापन के बाद प्रसाद वितरण किया मौके पर
कथा प्रेमी ठाकुर बाबा सेवा समिति सदस्य महंत महावीर शरण महाराज एवं,सुदर्शन श्रीवास्तव, जगदीश गुर्जर, लालजी गुर्जर, पर्वत सिंह गुर्जर, सत्यम गुर्जर, कैलाश पटेल, बृजेंद्र निरंजन, राजन सिंह निरंजन, अमृत निरंजन, मंगल कुशवाह, विजय कुशवाहा, रामप्रसाद कुशवाहा, श्याम करण कुशवाहा, लल्लू, शुभम, राघवेंद्र शर्मा ,राजेंद्र कोच, अवध बिहारी गुप्ता सहित सैकड़ो कथा प्रेमी मौजूद रहे।
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