आकस्मिक परिस्थितियों को लेकर मॉक ड्रिल का आयोजन

जिला संवाददाता
अमित गुप्ता
उरई जालौन
उरई (जालौन) आकस्मिक परिस्थितियों से निपटने की प्रशासनिक तैयारियों को परखने और आम नागरिकों को जागरूक करने के उद्देश्य से राजकीय इंटर कॉलेज में एक विशाल मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। गृह मंत्रालय के निर्देश पर आयोजित इस अभ्यास में जनपद के सभी प्रमुख विभागों ने सक्रिय सहभागिता निभाई। ड्रिल की शुरुआत पुलिस लाइन, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, उर्वशी सिंथेटिक लिमिटेड, अंकित कोल्ड स्टोरेज और पूंडरी कोल्ड स्टोरेज में अलर्ट सायरन बजाकर की गई। सायरन की आवाज सुनते ही लोगों को सुरक्षित स्थानों की ओर भेजा गया। इस दौरान अधिकारियों ने नागरिकों को बताया कि आकस्मिक परिस्थितियों में किस प्रकार संयम और सावधानी बरतनी चाहिए। मौके पर जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय, पुलिस अधीक्षक डॉ. दुर्गेश कुमार, अपर जिलाधिकारी संजय कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक प्रदीप कुमार वर्मा, सीओ अर्चना सिंह, सीएमओ डॉ. नरेंद्र देव शर्मा सहित पुलिस, फायर ब्रिगेड व स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने अपनी उपस्थिति और तत्परता दर्ज कराई। इसके पश्चात राजकीय इंटर कॉलेज परिसर में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें मॉक ड्रिल की उपयोगिता और कार्यप्रणाली पर विस्तार से चर्चा की गई। फायर फाइटिंग टीम ने आग लगने की स्थिति में राहत और बचाव का अभ्यास भी किया, जिसमें एनएसएस, एनसीसी और रिटायर्ड आर्मी एसोसिएशन के सदस्य भी शामिल रहे।
इस अवसर पर जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने बताया कि सिविल डिफेंस कानून को भारत की संसद ने पारित किया था। इसे 1968 में नागरिक सुरक्षा अधिनियम 1968 के रूप में जाना जाता है। यह अधिनियम मई 1968 में संसद द्वारा पारित किया गया था और 10 जुलाई 1968 से पूरे भारत में लागू किया गया था। यह अधिनियम नागरिक सुरक्षा के लिए प्रावधान करता है, यह नागरिक सुरक्षा के लिए एक संगठित बल स्थापित करता है। यह अधिनियम सरकार को नागरिक सुरक्षा के लिए नियम और विनियम बनाने का अधिकार देता है। यह अधिनियम युद्ध या अन्य आपात स्थितियों के दौरान नागरिकों, संपत्ति, स्थानों और चीजों की सुरक्षा के लिए उपाय प्रदान करता है।
इस अधिनियम के तहत, नागरिक सुरक्षा को लोगों को आपात स्थितियों के बारे में जागरूक करना, उन्हें प्रशिक्षित करना, और आपात स्थिति के दौरान उनकी मदद करना शामिल है।
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