आत्मा का अहसास तीनों अवस्थाओं में होता है - सियाराम दास जी महाराज
पंचनद धाम औरैया। पांच पवित्र नदियों यमुना-चंबल सिंध पहूज और कुंवारी के पवित्र महासंगम पर जनपद की अजीतमल तहसील क्षेत्र के यमुना नदी तट पर ग्राम फरिहा में चल रहे श्री सीताराम महायज्ञ एवं श्री मदभागवत ज्ञान यज्ञ व सन्त सम्मेलन में कथा व्यासजी संत शिरोमणि सियाराम दास जी महाराज की कथा के दौरान बताया कि जिसके अंदर के दानव जीत गया उसका जीवन दुखी, परेशान और कष्ट कठिनाइयों से भरा होगा और जिसके अंदर के देवता जीत गया उसका जीवन सुखी, संतुष्ट और भगवत प्रेम से भरा हुआ होगा । इसलिए हमेशा अपने विचारों पर पैनी नजर रखते हुए बुरे विचारों को अच्छे विचारों से जीतते हुए अपने मानव जीवन को सुखमय एवं आनंद मय बनाना चाहिए । आचार्य ने भागवत के चातुर्स अध्याय के स्लोको का अर्थ श्रोताओं को बताते हुए उन्होंने कहा की भगवान ही सत्य हे वह हर वक्त हर समय हर जगह उपस्थित रहता हे उन्होंने कहा की। प्रलय के बाद भी भगवान रहते हे ओर प्रलय के पहले भी भगवान ही यानी भगवान ही सत्य हे। उन्होंने बताया की प्राणी की तीन अवस्थाएं होती है जागृत अवस्था, स्वपन अवस्था और शुसन अवस्था उन्होंने बताया की केवल जाग्रत अवस्था में शरीर का अहसास होता है लेकिन स्वपन तथा शुसन अवस्था में शरीर का अहसास नही होता ही लेकिन आत्मा का अहसास तीनों अवस्थाओं में होता हे। सुबह के समय कार्यक्रम पंडाल में यज्ञाचार्य डा0 नर्मदा प्रसाद त्रिपाठी द्वारा मन्तोचारण के साथ हवन में आहूतिया दिलायी गयी। कार्यक्रम आयोजक ब्रहमचारी जी महाराज ने क्षेत्र के लोगो से अधिक अधिक से संख्या में कार्यक्रम स्थल पर पधार कर अपने जीवन को सफल बनाएं जाने की अपील की है।
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