जल संरक्षण जागरूकता जन चैपाल में सहभागिता कर मंडलायुक्त ने बढ़ाया जल सहेलियों का हौसला।

May 23, 2024 - 06:48
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जल संरक्षण जागरूकता जन चैपाल में सहभागिता कर मंडलायुक्त ने बढ़ाया जल सहेलियों का हौसला।

जिला संवाददाता

अमित गुप्ता

उरई जालौन 

उरई/जालौन डब्ल्यूएचएच के सहयोग से परमार्थ समाज सेवी संस्थान द्वारा संचालित महिलाओं के लिए पानी परियोजना के अंतर्गत जल संरक्षण जागरूकता जन चैपाल का आयोजन मंगलवार को ग्राम गोपालपुरा में मंडलायुक्त महोदय झांसी के मुख्य अतिथ्य एवं जिलाधिकारी महोदय की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम में आकर्षण का मुख्य केन्द्र जल सहेलियां रहीं जिन्होंने पानी बचाना है, वोट डालने जाना है के नारे के साथ जल संरक्षण के प्रति लोगो में जोश बढ़ाया। जल सहेलियां सिर पर पानी से भरी गगरी संभालकर प्रदर्शन करती हुई सार्थक संदेश दे रही थी। अधिकारियों ने जल सहेलियों के जल संरक्षण में योगदान को सराहा। मंडलायुक्त विमल कुमार दुबे ने कहा कि जल है तो कल है”, बावजूद इसके जल बेवजह बर्बाद किया जाता है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल-संकट का समाधान जल के संरक्षण से ही है। हम हमेशा से सुनते आये हैं “जल ही जीवन है”। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना नहीं की जा सकती, जीवन के सभी कार्यों का निष्पादन करने के लिये जल की आवश्यकता होती है। उन्होंने इस क्षेत्र में जल संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों के लिए जल सहेलियों की प्रशंसा की। 

पुलिस उपमहानिरीक्षक कलानिधि नैथानी ने कहा कि नगरीकरण और औद्योगिकीकरण की तीव्र गति व बढ़ता प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। प्रतिवर्ष यह समस्या पहले के मुकाबले और बढ़ती जाती है, लेकिन हम हमेशा यही सोचते हैं बस जैसे तैसे गर्मी का सीजन निकाल जाये बारिश आते ही पानी की समस्या दूर हो जायेगी और यह सोचकर जल सरंक्षण के प्रति बेरुखी अपनाये रहते हैं। हम सब जब तक पानी बचाने की इस मुहिम से नहीं जुड़ेंगे तब तक यह संभव नहीं है। हमें अपने आने वाली पीढ़ी के लिए भी सोचना चाहिए। 

जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय ने कहा कि शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता और संबंधित ढेरों समस्याओं को जानने के बावजूद देश की बड़ी आबादी जल संरक्षण के प्रति सचेत नहीं है। जहां लोगों को मुश्किल से पानी मिलता है, वहां लोग जल की महत्ता को समझ रहे हैं, लेकिन जिसे बिना किसी परेशानी के जल मिल रहा है, वे ही बेपरवाह नजर आ रहे हैं। आज भी शहरों में फर्श चमकाने, गाड़ी धोने और गैर-जरुरी कार्यों में पानी को निर्ममतापूर्वक बहाया जाता है। पहले गांवों में स्थित तालाब न केवल बर्षा जल के संचयन का अच्छा स्रोत था बल्कि पशु पक्षियों के लिए भी उपयोगी रहता था। लेकिन जैसे-जैसे हैण्डपम्प, सबमर्सिबल आदि पानी के स्रोत चलन में आये तो लोग तालाबों को भूल गये और देखरेख के अभाव में तालाब पूरी तरह नष्ट हो गये और गांव के लोगों ने उसमें गांव का गंदा पानी और कूड़ा कचरा डालना शुरू कर दिया। अब हमें फिर से पुराने जल के स्रोतों को जिंदा करना होगा तभी हम पानीदार बन सकते हैं। 

जल जन जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक एवं परमार्थ संस्थान के सचिव डा0 संजय सिंह ने कहा कि बुन्देलखण्ड में जल संरक्षण के क्षेत्र में हमारी जल सहेलियों के प्रयास काफी सराहनीय हैं वह लगातार इस कार्य को न केवल आगे ले जा रही हैं बल्कि जल संरक्षण के प्रति घर-घर अलख जगाने का भी कार्य कर रहीं हैं। इस कार्य के लिए उन्हें महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। 

जल सहेली माया देवी, शकुंतला, किरन आदि ने कहा कि परमार्थ संस्थान द्वारा जल बचाने की जो सीख हमें दी गई है उसे हम गांव-गांव तक लेकर जा रहे हैं लोगों को गीत के माध्यम से पानी बचाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारा लक्ष्य एक लाख जल सहेली बनाकर इस मुहिम को पूरे बुन्देलखण्ड क्षेत्र में फैलाना है।

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