नालिक बच्चें नगर व कस्बें में कर रहें मेहनत मजदूरी जिम्मेदार क्यों हैं -मौन

अमित गुप्ता
संवाददाता
कदौरा/जालौन कदौरा नगर क्षेत्र में व कस्बे से लेकर गांव तक बाल श्रम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिन मासूमो को स्कूलों में होना चाहिए, वे बच्चे खेतों व गाडियां चला रहे या तो व्यापारियों के यहां मजदूरी कर रहे हैं। बाल श्रमिको को लेकर या कोई खेल जिससे बाल श्रमिकों की संख्या कम होने की बजाय दिनों दिन बढ़ती जा रही है। बाल श्रम जड़ से मिटाने के लिए साल दर साल नए नए फरमान जारी होते हैं, राजनेता भी मंचो पर भाषण करते हैं तो वही बाल श्रमिकों को कागजों में मुक्ति दिलाकर अपनी पीठ थपथपा है। परचूनी की दुकानों, मोटर मैकेनिक ,होटलों, चाय की दुकानों, भट्टो,, खेतों इत्यादि में बच्चे मजदूरी करते मिल जायेंगे। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण इन मासुमो की मजदूरी करना मजबूरी है। हाड -तोड़ मेहनत करने के बाद भी इन्हे इनकी मेहनत का पूरा पैसा भी नही जाता है। हालात यह है की जिन बच्चों को स्कूलों में होना चाहिए वे मजदूरी करने में जुटे हैं। जून के महीने में बाल श्रम अभियान चलाया जाता था वही चाइल्ड लाइन नही कर रही है बाल श्रम पर कोई कार्यवाही।
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