-काकोरी शताब्दी वर्ष समारोह के पोस्टर का हुआ विमोचन
व्यूरो रिपोर्ट जालौन
पंचनदः चंबल संग्रहालय ने चौरैला के बीहड़ों में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर संकल्प सभा का आयोजन किया। चंबल अंचल के रहवासियों नें अपने लड़ाका पुरखे आजाद को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। वक्ताओं ने कहा कि चंद्रशेखर आजाद की गाथा जन-जन के लिए प्रेरणा का स्रोत है। क्रांतिकारी ही नही बल्कि क्रांतिकारियों का नायक बनने के लिए ऊँची शिक्षा- दीक्षा कि जरूरत नही, बल्कि उसके लिए क्रांति के प्रति अगाध विश्वास के साथ अदम्य साहस और अभूतपूर्व त्याग बलिदान कि जरूरत है। शिक्षा व ज्ञान में पहुंच रखने वाले क्रांतिकारियों साथियो से सिद्धांत व ज्ञान को निरंतर सीखते रहने की जरूरत है। इसका सबसे बड़ा सबूत महान राष्ट्र भक्त क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आजाद हैं। शिक्षा ज्ञान कि कमी के बावजूद वे क्रांतिवीरों के सेनानायक बने।
दरअसल आजाद ने क्रांतिकारी पार्टी की सदस्यता तब ग्रहण की। जब क्रांतिकारी पार्टी के मुखिया पंडित राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ थे और पार्टी का नाम हिन्दुस्तान रिपब्लिक ऐसोसिएशन था। बिस्मिल उनको प्यार से ‘क्विक सिलवर’ पुकारते थे। छोटे-मोटे एक्शन के बाद क्रांतिकर्म के ककहरे का उन्हें पहला कीमती सबक सीखने को मिला 9 अगस्त,1925 को काकोरी ट्रेन डकैती के मिशन में। लखनऊ के निकट काकोरी के पास महज दस क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना हथिया लिया। बौखलायी सरकार ने आजाद और कुन्दन लाल के अलावा सभी क्रांतिवीरों को गिरफ्तार कर लिया।
काकोरी केस के शहीदों राम प्रसाद ‘बिस्मिल’, अशफाकउल्लाह खान, ठाकुर रोशन सिंह और राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी की फाँसी के बाद आजाद ही दल में सबसे वरिष्ठ थे। संगठन का पुनर्गठन अब उनका ही दायित्व था। हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन पार्टी व आर्मी के चीफ बने चंद्रशेखर आजाद उर्फ बलराज का कहना था, ‘‘अंग्रेज जब तक इस देश में शासक के रूप में रहें, हमारी उनसे गोली चलती ही रहनी चाहिए। समझौते का कोई अर्थ नहीं है। अंग्रेजों से हमारा केवल एक ही समझौता हो सकता है कि वे अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर यहां से चल दें।’’ आजाद और उनके साथियों का यह क्रांतिकारी दल का अंतिम लक्ष्य अंग्रेजों को भगाना ही नहीं बल्कि शोषणविहीन, वर्ग एवं जातिविहीन,समतामूलक समाज की स्थापना था।
संकल्प सभा को विश्वात्मा वन महाराज, उपेन्द्र सिंह परिहार, प्रत्यूष रंजन मोनू, शैलेन्द्र सिंह परिहार, डॉक्टर शाह आलम राणा, कपिल तिवारी, महंत रामदास, सद्दीक अली,फूल सिंह परिहार, अभिषेक मिश्रा आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन महेशचंद्र दुबे ने किया। इस अवसर पर संजय दुबे, रिंकू परिहार, अभिषेक, वैभव रंजन,
आदिल खान, हरीशचंद्र परिहार, योगेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे।
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चंबल परिवार प्रमुख डॉ. शाह आलम राना ने काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह का पोस्टर जारी करते हुए कहा कि दुनियां में हर दिन ट्रेन में चैन पुलिंग होती रहती है लेकिन वह हमेशा इतिहास नहीं बन पाती। जब बड़े उद्देश्यों-लक्ष्यों के लिए काकोरी की तरह घटना होती है तो वह विश्व इतिहास बन जाती है। लिहाजा चंबल परिवार परिवार शताब्दी वर्ष की तैयारियों में पूरे जोश व खरोश के साथ जुटा हुआ है। नई पीढ़ी को केन्द्रित रखते हुए चंबल संग्रहालय कई कार्यनीतियों पर ठोस काम कर रहा है। काकोरी एक्शन शताब्दी वर्ष समारोह का प्रारंभ आगामी 8-9 अगस्त 2024 को गोरखपुर से होगा। उसके बाद अयोध्या, गोण्डा, शाहजहांपुर, कानपुर, सुल्तानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, औरैया, मेरठ आदि काकोरी केस के महानायकों से जुड़े शहरों-कस्बों में समारोह आयोजन के बाद 7-8 अगस्त, 2025 को लखनऊ में ऐतिहासिक समापन होगा।
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