श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र है श्री दुःख हरणनाथ मंदिर
संवाददाता रोहित कुमार गुप्ता
उतरौला बलरामपुर । उतरौला नगर के आर्यनगर मुहल्ले में श्री दुःख हरणनाथ मंदिर स्थित है जो मुगलकाल से ही लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
श्री दुःख हरणनाथ मंदिर में सभी दिशाओं में कुल 12 शिवलिंग का विशेष महत्व है।परिसर में पवनसुत की दो प्रतिमाएं भी स्थापित है।हर सोमवार,अधिमास, महाशिवरात्रि,सावन माह व हर तालिका तीज़ पर जलाभिषेक करने वालों की भीड़ जुटती है।बस , रिक्शा अथवा निजी साधन से पहुंचा जा सकता है।
इतिहास
मान्यता है कि घुमक्कड़ संत जयकरन गिरी इसी स्थान पर एक टीले पर रात्रि विश्राम को रुके थे। यहां उन्होंने स्वपन देखा कि टीले के नीचे शिवलिंग दबा है।खोदाई में भूरे रंग का शिवलिंग निकला।जन सहयोग से शिवलिंग की स्थापना शुरू कराई। प्रचलित कहानी है कि तत्कालीन मुग़ल शासक नेवाज अली खां ने हाथियों से शिवलिंग को उठवाकर नदी में फेकवा दिया।अगले दिन शिवलिंग फिर वही मिला।इस बार शिवलिंग को आरी से काटने का आदेश दिया।आरी चलते ही शिवलिंग से रक्त की धार बहने लगी। शिवलिंग की महत्ता को देखते हुए राजा ने क्षमा मांगते हुए मंदिर निर्माण में सहयोग दिया।
ऐतिहासिक श्री दुःख हरणनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ हर सोमवार, शिवरात्रि में जलाभिषेक के लिए भक्त आते हैं। मान्यता है कि यहां जलाभिषेक करने वालों की मनोकामना भोलेनाथ पूरी करते हैं।
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