बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है, प्यार के दो तारों से संसार बांधा है
व्यूरो के के श्रीवास्तव जालौन
उरई जालौन - प्रति वर्ष मे श्रावण माह के सुअवसर पर हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार बड़ी धूमधाम व भाई बहिन के अटूट प्रेम के बंधन रक्षा सूत्र बांधकर मनाया जाता है इस त्योहार में बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बाँधकर उनकी लंबी उम्र की दुआ करती है और भाई भी अपनी बहिनों से इस रक्षा सूत्र को बंधवा कर जीवन भर उनकी रक्षा करने का व हर दुख: सुख में साथ खड़े रहने का वचन देते हैं इतिहास में बताया जाता है कि पुराने समय में कई भाइयों ने राखी के वचन को निभाते हुए बहिनों के सम्मान में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया इस त्योहार मे कुछ साल पहले तक ग्रामीण क्षेत्रों मे पेडों की डाल पर पूरे महीने झूले डाल दिए जाते थे इंन झूलों पर दिन में छोटे छोटे बच्चो को और रात मे घर परिवार एवं मोहल्ले की महिलाएं एवं ल़डकियों को झूलते व मधुर सुंदर श्रवण गीतो को गायन करते हुए देखा जा सकता था इस रक्षाबंधन में सभी जिन ल़डकियों की सादी हो जाती थी उन ल़डकियों के लिए इस त्योहार का बड़ा महत्व होता क्योंकि इस त्यौहार पर बहिने अपनी मां एवं पिता भैया भाभी परिवार से जाकर मिलती हैं और यह रक्षाबंधन का एक मात्र ही ऐसा त्योहार होता है जो भाई बहन के अटूट बंधन को पुनः ताजा कर ता हैं लेकिन आज की संस्कृति जो पुरानी परंपराओं को छोड़ती हुई नजर आ रही है
और धीरे-धीरे दुनिया की बढ़ती चकाचौंध मे मानो यह त्योहार खोता ही जा रहा है अब न तो आपको ग्रामीण अंचलों मे किसी भी पेड़ पर झूले डले मिलेंगे और न ही शहरों में गले मिल कर त्योहार को मनाने की पुरानी रीति दिखती है ! अब तो यह त्योहार मानो आदमी के दिमाग में धीरे -धीरे धुँधला ही होता जा रहा है इंसान के अंदर की इंसानियत धीरे धीरे मानो गायव होती जा रही है आज का इंसान सद्भावना शिष्टाचार पुराने रीति रिवाज अधिकतर सभी लुप्त होते दिख रहे हैं हमारी आप लोगों से विन्रम निवेदन है अपनी संस्कृति एवं अपने त्योहारों की गरिमा को बनाए रखे
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