नाटक, गीत और नृत्य के अभ्यास में हर रोज़ नए रंग भर रहे इप्टा रंगकर्मी

कोंच (जालौन) भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) इकाई कोंच द्वारा आयोजित 25 वीं निशुल्क बाल एवं युवा रंगकर्मी नाट्य कार्यशाला में बच्चों और युवाओं के बीच नाटक, संगीत एवं नृत्य की विधाओं का उत्साहपूर्वक अभ्यास जारी है। कार्यशाला का उद्देश्य युवा प्रतिभाओं को मंच प्रदान कर उनमें छिपी रचनात्मकता को उजागर करना है।
कार्यशाला का शुभारंभ इप्टा गीत "बजा नगाड़ा शांति का" से हुआ, जिसने समूचे वातावरण को ऊर्जा और उद्देश्य से भर दिया। इसके पश्चात प्रतिभागियों ने सामाजिक सरोकारों से जुड़ा प्रसिद्ध नाटक "गड्ढा"*का अभ्यास कर रंगमंच की बारीकियों को सीखा और अभिव्यक्ति की कला में निपुणता प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया। वही नाटक निर्भया के माध्यम से समाज की उस सोच की जमकर बखेड़िया उधेड़ी जिसमे यह कहा जाता कि महिलाओ से जुड़े कुछ अपराध छोटे कपड़ो के कारण होते।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की कड़ी में स्वागत गीत "जो उनके आने की आहट है, गरीब खाना सजाया हमने" की भी सशक्त रिहर्सल की गई, जिसमें भाव, स्वर और संगीत का समन्वय देखने लायक था इसके साथ ही चिट्ठी न कोई संदेश जाने कौन सा है वो देश जंहा तुम चले गए की रिहसर्ल ने भी भाव विभोर कर दिया। इसके साथ ही प्रांतीय सचिव डॉ मुहम्मद नईम बॉबी एवं इप्टा अध्यक्ष अनिल कुमार वैद के दिशा-निर्देशन में अन्य गतिविधियों के माध्यम से रंगकर्मियों ने अपनी प्रतिभा को उकेरा। वही मास्टर क्लास में इप्टा सचिव पारसमणि अग्रवाल ने कहा कि रंगमंच केवल मनोरंजन का साधन नहीं, बल्कि समाज को दिशा देने वाला सशक्त माध्यम है। आज जब सामाजिक विषमताएं और संवेदनहीनता बढ़ रही हैं, तब नाटक जनमानस को जागृत करने का कारगर औजार बन सकता है। रंगकर्म व्यक्ति में आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और सामाजिक चेतना का विकास करता है।
कार्यशाला के संयोजन में अहम भूमिका निभा रही साहना खान एवं कोमल सिंह ने भी रंगकर्म के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी के लिए ऐसे आयोजनों का होना अत्यंत आवश्यक है। इप्टा जैसी संस्थाएं देश की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने का कार्य कर रही हैं, और यह कार्यशाला नई पीढ़ी को अपने सामाजिक उत्तरदायित्व से जोड़ने का माध्यम बनेगी। इप्टा पदाधिकारी अंकुर राठौर और यूनिस मंसूरी ने भी रंगकर्मियों को सम्बोधित कर इप्टा से जुड़े अपने अनुभव बताते हुए कहा कि कार्यशाला में प्राप्त अनुभव निश्चित ही प्रतिभागियों के व्यक्तित्व विकास में सहायक होंगे और भविष्य में उनके रंगमंचीय सफर की मजबूत नींव बनेंगे। कार्यशाला में प्रशिक्षकों द्वारा प्रतिभागियों को अभिनय, स्वर, संवाद, शारीरिक भाषा, मंच संचालन, नाट्य संरचना एवं भाव-प्रस्तुति की विधियां व्यावहारिक रूप से सिखाई जा रही हैं।
इस अवसर पर सूफिया मंसूरी, गौरांगी व्यास, मान्या, अंशिका, दीप्ति द्विवेदी, उन्नति सोनी, काजल दुवे, उन्नति दुवे, हर्षिका यादव, सौम्या झा, अवंतिका सोनी, परी कुशवाहा, अनुभा पटेल, सोफिया, आराध्या गुप्ता, पलक, छाया, सौम्यल्या मंसूरी, आयत मंसूरी, अलीशा, नैना सोनी, आर्या मयंक, प्रमिषा, श्रेया अग्रवाल, सृष्टि अग्रवाल, अक्षिता कुशवाहा, कृतिका कुशवाहा, शिवन्या पटेल, भव्या वर्मा आदि रंगकर्मी उपस्थित रहे।
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