विश्व पुस्तक मेला में डॉ अमरेंद्र पौत्स्यायन द्वारा लिखित मखमली धूप में काव्य का लेखक मंच से हुआ भव्य लोकार्पण
व्यरो रिपोर्ट जालौन
उरई, जालौन। विश्व पुस्तक मेला 2024 प्रगति मैदान नई दिल्ली में जालौन के जिला प्रोबेशन अधिकारी डॉ अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन की दूसरी काव्य संग्रह "मखमली धूप में "जो हिंदी श्री पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित हुई है का लेखक मंच से हुआ भव्य लोकार्पण। इस लोकार्पण कार्यक्रम में भारत के नाम चिन साहित्यकारों पंडित अनित्य नारायण मिश्र वेद प्रकाश प्रजापति, गोपाल जी राय सूचना विभाग भारत सरकार शिब्बू गाजीपुरी स्क्रिप्ट राइटर श्री मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव वरिष्ठ कवि व लेखक तथा हिंदी श्री साहित्य संस्थान के संयोजक अमेरिका निवासी श्री हेमंत कुमार तथा वरिष्ठ कवि व हिंदी श्री पब्लिकेशन के आनंद अमित के कर कमलो द्वारा जिला प्रोवेशन अधिकारी व वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन की काव्य संग्रह मखमली धूप में का किया गया लोकार्पण।
लोकार्पण कार्यक्रम में लेखक मंच से संबोधित करते हुए रचनाकार डॉ अमरेंद्र कुमार पौत्स्यायन ने कहा की मखमली धूप में मानवीय संवेदनाओं के जज्बात पीड़ा हर्ष मजदूरी बेरोजगारी पर्यावरण तथा यथार्थ व समसामयिक विषयों का खास कर नारी समानता तथा सामाजिक कुरीतियों को कविता के माध्यम से व्यक्त किया गया है ।इस संग्रह में पंचनद तीर्थ जो जालौन जनपद का बहुत महत्वपूर्ण स्थल है कविता में ढा़लकर इसे विश्व व्यापी आयाम दिया गया है जिसे दर्शक दीर्घा में उपस्थित विद्वत जनों ने काफी प्रशंसा की।
इस पुस्तक पर प्रकाश डालते हुए समीक्षक मंडल ने कहा कि मखमली धूप में काव्य संग्रह समाज के विविध आयामों को अभिव्यक्त करती है इसमें जहां यथार्थ व कल्पना का समन्वय दिखता है वही जालौन के पंचनद पर लिखी कविता तथा नून नदी पर लिखी कविता जालौन को विश्व क्षितिज पर साहित्यकारों के बीच स्थापित करता है। अनित्य नारायण मिश्र ने समीक्षा के क्रम में कहा कि जहां मखमली धूप में रिश्तो को बेहतर ढंग से समझने और जीने की आस पैदा करती है वही संग्रह की कविता नफरतों के दौर में तुम प्रेम के दो बोल बोलो, मत किसी का दिल दुखाओ मत किसी पर व्यंग बोलो तथा पंचनद तीर्थ की वह लाइन की मिलकर रहोगे तो तीर्थ बन इस काव्य संग्रह को एक नई ऊंचाई प्रदान करता है । अंत में हिंदी श्री पब्लिकेशन के श्री अमित आनंद ने इस काव्य संग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह संग्रह साहित्य के क्षेत्र में मिल का पत्थर साबित होगा तथा कई लोगों को इसमें अपनी अनुभूतियाँ तथा जीवन धड़कता हुआ मिलेगा।
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