नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का है विशेष महत्व

Oct 12, 2024 - 07:43
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नवरात्रि में अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन का है विशेष महत्व

कोंच (जालौन) जानें किस आयु की कन्या को भोजन कराने से क्या मिलता है फल शारदीय नवरात्र पर पूरे देश में आस्था की बयार बह रही है. चारो और मां दुर्गा के भजन सुनाई पड़ रहे हैं. मंदिरों में सुबह से लेकर देर रात माता रानी की पूजा-अर्चना हो रही है. नवरात्रि में जितना महत्व श्रद्धा और भक्ति के साथ मां के नौ रूपों की पूजा करने का है, उतना ही कन्या पूजन का भी है. कुछ लोग अष्टमी वाले दिन कन्या पूजन करते हैं तो कुछ नवमी को कुछ लोग सप्तमी और दशमी को भी कन्या पूजन करत हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है. नवरात्रि में यदि आप नौ दिन व्रत नहीं कर पाएं हैं तो अष्टमी और नवमी तिथि पर व्रत कर सकते हैं. मान्यता है कि दुर्गाष्टमी पर व्रत करने वालों को नौ दिन की पूजा के समान फल प्राप्त होता है. इस दिन माता की आठवीं शक्ति मां महागौरी का पूजन होता है!

कन्या पूजन में 2 से 10 वर्ष के बीच की बालिकाओं को घर बुलाकर उनके पैर धोकर मां की पसंद का भोजन कराया जाता है. कन्या पूजन से दुख-दरिद्रता दूर होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है. कन्या पूजन में नौ बालिकाओं के साथ दो बालकों को भी पूजा जाता है. इसके पीछे की कहानी ये है कि जहां बालिकाओं को माता रानी का स्वरूप माना जाता है, वहीं बालकों को भगवान गणेश और भैरव बाबा का रूप माना जाता है! 

महाष्टमी एवं नवमी पर कन्या पूजन-11 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से लेकर 10 बजकर 41 मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से लेकर 1 बजकर 35 मिनट तक कर सकते हैं। राहुकाल- दोपहर 10 बजकर 41 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक रहेगा।

कन्या पूजन की विधि

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1. कन्या पूजन के एक दिन पहले सभी कन्याओं को आमंत्रित करें!

2. कन्या पूजन के दिन नौ से अधिक कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ होता है!

3. कन्या पूजन के लिए हलवा और पूड़ी का प्रसाद तैयार करें!

4. कन्याएं और बटुक (छोटे लड़के) घर आ जाएं, तो उनका जल से पैरे धोएं और उनके चरण स्पर्श करें!

5. उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाएं!

6. फिर उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं. इसके बाद कन्याओं और लड़कों की कलाइयों पर मौली बांधें!

7. इसके बाद फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं!

8. अंत में उन्हें दक्षिणा गिफ्ट्स दें. उनके पैर छुएं और उन्हें उनके भेजने जाएं!

किस उम्र की कन्या की पूजा से क्या मिलता है फल

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1. नवरात्र में अष्टमी या नवमी को 2 से 10 वर्ष की नौ कन्याओं की पूजा होती है. शास्त्रों में अलग-अलग उम्र की कन्या पूजन को लेकर विशेष महत्व बताया गया है!

2. दो वर्ष की कन्या को कुमारी कहा जाता है. मान्यता है कि इनके पूजन से दुख और दरिद्रता मां दूर करती हैं!

3. तीन वर्ष की कन्या त्रिमूर्ति मानी जाती हैं. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से घर में धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है!

4. चार साल की कन्या को कल्याणी कहा जाता है. नवरात्रि में इनका पूजन करने और भोजन कराने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है!

5. पांच वर्ष की कन्या को रोहिणी कहा जाता है. रोहिणी को पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है!

6. छह वर्ष की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है. इनका पूजन करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है!

7. सात वर्ष की कन्या को चंडिका का रूप माना जाता है. इनकी पूजा करने से घर में धन-दौलत की कमी नहीं होती है!

8. आठ वर्ष की कन्या को शांभवी कहा जाता है. नवरात्रि इन्हें भोजन कराने से लोकप्रियता की प्राप्ति होती है!

9. नौ वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का रूप माना जाता है. इस उम्र की कन्या का पूजन करने से शत्रुओं का नाश होता है और असाध्य कार्यपूर्ण होते हैं!

10. दस वर्ष की कन्या सुभद्रा कहलाती हैं. सुभद्रा अपने भक्तों के सारे मनोरथ पूर्ण करती हैं!

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