फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (एमडीए)को जन-आंदोलन बनाने की जरूरत - जिलाधिकारी

Aug 2, 2023 - 17:09
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फाइलेरिया उन्मूलन अभियान (एमडीए)को जन-आंदोलन बनाने की जरूरत - जिलाधिकारी

वीरेंद्र सिंह सेंगर 

औरैया 2 अगस्त 2023 फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एमडीए) अभियान को जन-आंदोलन बनाने की जरूरत है। एमडीए अभियान तभी सफल होगा जब इसमें समुदाय के सभी लोग अपनी सहभागिता सुनिश्चित करेंगे। इसीलिये इस कार्यक्रम में जिला स्तर से ब्लॉक स्तर तक अथक प्रयास किये जायेंगे कि कोई भी लाभार्थी दवा खाने से छूट न जाये। उक्त बातें जिलाधिकारी नेहा प्रकाश ने स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में सेंटर फाॅर एडवोकेसी एंड रिसर्च सीफार संस्था के सहयोग से बुधवार को नगर के एक स्थानीय होटल में आयोजित एक दिवसीय मीडिया संवेदीकरण कार्यशाला के दौरान कहीं। 

बताते चलें कि इस मौके मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार ने कहा की जनपद में 10 अगस्त से चलने वाले मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम एमडीए अभियान के उद्देश्य को प्राप्त करने में मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका है, उन्होंने मीडिया सहयोगियों से कहा कि मीडिया की भूमिका सरकार द्वारा चलाये जा रहे समस्त कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है । उन्होंने मीडिया सहयोगियों से अनुरोध किया कि वे 10 अगस्त से प्रारंभ होने वाले एमडीए अभियान के दौरान, समाचारों और मीडिया कवरेज के माध्यम से लोगों को लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (हांथीपांव, हाइड्रोसील , महिलाओं के स्तन में सूजन ) आदि से बचाव के लिए दवा खाने के लिए जागरूक करें । उन्होंने नियमित टीकाकरण कार्यक्रम, क्षय उन्मूलन और कुष्ठ उन्मूलन जैसे कार्यक्रमों में भी मीडिया से निरंतर सहयोग करने की अपेक्षा की। 

वहीं वेक्टर बोर्न डिजीज (वीबीडी) के नोडल व उप मुख्य चिकित्साधिकारी डाॅ. राकेश सिंह ने बताया की फाइलेरिया रोग से प्रभावित अंग के साफ -सफाई और व्यायाम से इसे सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है । ऐसे में अगर एमडीए अभियान के दौरान पांच साल तक लगातार, साल में एक बार फाइलेरिया रोग से बचाव के लिए दवा का सेवन किया जाए तो इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है । इस बार एमडीए के दौरान दवा खिलाने के बाद मार्कर से अंगुली पर निशान भी लगाया जाएगा ताकि सभी तक दवा का सेवन सुनश्चित किया जाए, इस सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम में जनपद में 14.98 लाख लक्षित लाभार्थियों को इस गंभीर बीमारी से बचाने के लिए 1350 स्वास्थ्य कर्मियों के माध्यम से बूथ लगा कर एवं घर-घर जाकर इन दवाओं का सेवन सुनिश्चित करवाया जाएगा। दवाओं का वितरण बिल्कुल भी नहीं किया जायेगा इन दवाओं का सेवन खाली पेट नहीं करना है। डॉo सिंह ने कहा कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं । हालांकि इन दवाओं का कोई विपरीत प्रभाव नहीं है। फिर भी किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलाने जैसे लक्षण होते हैं। तो यह इस बात का प्रतीक हैं कि उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं । ऐसे लक्षण इन दवाओं के सेवन के उपरांत शरीर के भीतर परजीवियों के मरने के कारण उत्पन्न होते हैं । सामान्यतः ये लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं। परंतु ऐसी किसी भी परिस्थिति के लिए प्रशिक्षित रैपिड रिस्पॉन्स टीम आरआरटी भी बनाई गई है । आवश्यकता पड़ने पर आरआरटी को उपचार के लिए तुरंत बुलाया जा सकता है । 

इस अवसर पर पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि सुनील गुप्ता ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से बताया कि ने बताया कि एमडीए अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम प्रधानों के सहयोग से सोशल मोबिलाइजेशन से सम्बंधित गतिविधियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए पंचायत स्तर की कार्यप्रणाली को और अधिक मज़बूत होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सम्बन्ध में जागरूकता फैलाने के लिए जनपद के राशन डीलर्स, किसानों के समूहों, व्यापार मंडल, गन्ना मिल मालिकों और धार्मिक गुरुओं के माध्यम से समुदाय में जागरूकता फैलाई जा रही है । 

अंत में मीडिया सहयोगियों से संवाद के दौरान कई प्रश्नों के उत्तर में वरिष्ठ पत्रकार अशोक त्रिवेदी ने कहा कि फ़ाइलेरिया के लक्षण शुरुआत में नहीं नज़र आतें हैं इसीलिए, मीडिया द्वारा समाज के हर वर्ग तक इस बीमारी से जुड़े मुख्य सन्देश और महत्वपूर्ण जानकारियां अवश्य पहुंचाएं क्योंकि आपके माध्यम से समुदाय में जानकारियां बहुत आसानी से पहुँच जाती हैं इसीलिए मीडिया द्वारा फाइलेरिया रोधी दवा के सेवन और इसके सकारात्मक परिणामों के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की बहुत अधिक आवश्यकता है ताकि लोग स्वयं को और अपने परिवार को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकें । फाइलेरिया का पूर्ण रूप से उन्मूलन हो और आने वाली पीढ़ी को एक स्वस्थ भविष्य मिल सके,इस अवसर पर स्थानीय मीडिया सहयोगियों के अलावा जनपद के चिकित्सा और ,स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारी, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, पीसीआई और सीफार संस्था के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे ।

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