स्लीपर बसें माल ढुलाई कर सरकार को लगा रहीं राजस्व का चूना
रिर्पोटर रामप्रताप शर्मा ऐट जालौन
जालौन नगर से होकर करीब एक दर्जन अधिक स्लीपर बसो का संचालन अन्य प्रदेशों के लिए हो रहा है। मानकों को ताक पर रखकर हो रहे स्लीपर बसों के संचालन में मनमाना किराया वसूला जाता है। साथ ही अन्य प्रदेशों से अवैध रूप से सामान लादकर लाए जाने से राजस्व को भी चूना लगाया जाता है। प्रतिदिन इन बसों के संचालन के बाद भी जिम्मेदार मूकदर्शक बने बैठे हैं। जिम्मेदारों के इन बसों की ओर आंख मूंदकर बैठे होने से चर्चाओं का भी बाजार गर्म है।
शहर व नगर से होकर प्रतिदिन करीब एक दर्जन स्लीपर बसों का संचालन सूरत , राजकोट, गुजरात दिल्ली, जयपुर,नोएडा, अजमेर, गुरूग्राम, मध्यप्रदेश, राजस्थान आदि स्थानों के लिए होता है। इन बसों का प्रारंभिक स्टैंड से छूटने और अपने गंतव्य तक पहुंचने के बीच कोई स्टैंड नहीं होना चाहिए। इसके बाद भी यह बसें जगह जगह सवारियों को उतारती और बैठाती हैं। त्योहार के पहले और बाद इन बसों का किराया भी इनके संचालक मनमाने ढंग से बढ़ा देते हैं। होली के पूर्व तक जहां इन बसों पर दिल्ली तक का किराया 1200 से 1400 रुपये तक था। होली के बाद कामकाजी लोग वापस लौट रहे हैं तो अब किराया बढ़ाकर 2000 से 2200 रुपये तक कर दिया गया है। मजे की बात यह है मनमाने ढंग से किराया बढ़ाने की कोई संचालकों से शिकायत करता है तो वह अपने को किसी न किसी का खास बताकर रौब झाड़ते हैं। मजबूरी में यात्रियों को अधिक किराया देकर यात्रा करनी पड़ती है। इतना ही नहीं दिल्ली से आने वाली इन स्लीपर बसों में व्यापार के लिए सामान लादकर लाया जाता है। सूत्र बताते हैं कि इन बसों का उपयोग भाडा ढोने के रूप में नहीं किया जा सकता है। इसके बाद भी बसों में अंदर से बाहर तक सामान भरकर लाया जाता है। जिससे सरकारी राजस्व की भी क्षति होती है। प्रतिदिन हो रहे इन बसों के संचालन के बाद भी जिम्मेदार कार्रवाई में दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं। जिसके चलते बेखौफ होकर इन बसों का संचालन हो रहा है। ऐसे में लोगों के बीच तमाम तरह की चर्चाएं होना स्वभाविक है।
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